ईयू देशों के बजट पर होगी ब्रसेल्स की नजर
३१ जनवरी २०१२ब्रिटेन और चेक गणराज्य ने हालांकि इस पर अपनी सहमति नहीं दी है. 27 में 25 सदस्य देश वित्तीय एकीकरण समझौते (फिस्कल यूनिफिकेशन पैक्ट) पर राजी हुए हैं इसके तहत यूरोपीय संघ के सदस्य देशों का बजट ब्रसेल्स नियंत्रित कर सकेगा.
ब्रिटेन ने पहले ही फिस्कल कॉम्पैक्ट में भागीदारी से इनकार कर दिया है. इस समझौते के तहत देशों को अपने बजट में संतुलन लाने के लिए कानून या संविधान में बदलाव करने होंगे. चेक गणराज्य ने भी कहा है कि वह इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेगा.
यूरोपीय संघ के सदस्य देश 500 अरब यूरो वाले ईएसएम यानी यूरोपीय स्थिरता तंत्र को तय समय से पहले लागू करने पर भी राजी हुई है. अब यह कोष इसी साल पहली जुलाई से शुरू हो जाएगा. इसके पहले इसे 2013 में शुरू किया जाना था. फिलहाल साल भर ईएफएसएफ के साथ यह प्रणाली जारी रहेगी.
अभी के नियमों के मुताबिक दोनों कोषों से कर्ज की सीमा 500 अरब यूरो की होगी लेकिन कुछ अधिकारियों की सलाह है कि इस सीमा को कुल 750 अरब यूरो कर दिया जाना चाहिए.
उधर जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल, फ्रांस के राष्ट्रपति निकोला सारकोजी ने संकेत दिए हैं कि कोष का कुछ धन बेरोजगारी से लड़ने और विकास बढ़ाने के लिए किया जा सकता है. शिखर वार्ता के बाद जारी बयान में कहा गया है, "राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली हर संभव कोशिशों को यूरोपीय संघ का समर्थन होगा. इसमें तय सीमा पर सहमति के साथ नौकरियों और विकास के लिए यूरोपीय कोष का इस्तेमाल भी शामिल है."
ट्रांस अटलांटिक मुक्त व्यापार
शिखर वार्ता में काफी समय से लटके, यूरोपीय संघ और अमेरिका के बीच मुक्त व्यापार पर भी चर्चा की गई. बयान में कहा गया, "2012 बड़े साझेदारों के साथ व्यापार समझौता करने के लिए निर्णायक साल होगा. ईयू और अमेरिका के बीच व्यापार और निवेश के सभी विकल्पों को बढ़ावा देने की कोशिश की जानी चाहिए."
चांसलर अंगेला मैर्केल और ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन दोनों ने सलाह दी है कि इस मुद्दे पर विश्व आर्थिक फोरम दावोस में चर्चा होनी चाहिए. भारत भी यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार के मुद्दे पर जून 2007 से बातचीत कर रहा है जबकि सिंगापुर और ईयू के बीच यह बातचीत 2010 से शुरू हुई.
ग्रीस के वित्तीय संकट के मद्देनजर यूरोप के कई देशों ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाने के लिए बजट में कटौती सहित करों में बढ़ोतरी जैसे कई कदम उठाए. लेकिन इनके कारण देशों में भारी विरोध प्रदर्शन भी हुए. बचत कोशिशों के बावजूद अधिकतर यूरोपीय देशों में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बनी हुई है. शिखर वार्ता की शुरुआत में ग्रीस में कमिश्नर नियुक्त करने के मुद्दे पर काफी बहस हुई और जर्मन चांसलर ने फिर इस प्रस्ताव को वापस ले लिया. यूरोपीय संघ के अध्यक्ष हरमान फान रॉम्पॉए ने कहा, "हम सभी वित्त मंत्रियों से आग्रह कर करते हैं कि इस सप्ताह के आखिर तक नए प्रस्ताव में निजी क्षेत्र को भी शामिल करने के लिए कार्रवाई की जाए." यूरोपीय नेताओं ने अपील की है कि ग्रीस के राहत पैकेज को फिर से बनाने के लिए निजी निवेशकों की जरूरत होगी.
दूसरे बेलआउट पैकेज को लागू करने के पहले यह समझौता जरूरी है. दीवालिया होने से बचने के लिए ग्रीस को मार्च से पहले साढ़े चौदह अरब यूरो की जरूरत है.
रिपोर्टः रॉयटर्स, एएफपी/ आभा एम
संपादनः ओ सिंह