ईरान को कड़ी चेतावनी देने से परहेज
१७ नवम्बर २०११शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के 35 सदस्यीय बोर्ड की मीटिंग होनी है. इस मीटिंग में ईरान पर प्रस्ताव पेश किया जा सकता है. उस पर वोटिंग भी हो सकती है. इस प्रस्ताव का काफी समय से इंतजार हो रहा है क्योंकि इसी के आधार पर तय होना है कि एजेंसी और संयुक्त राष्ट्र के निर्देशों को नजरअंदाज करने वाले ईरान पर किस तरह की कार्रवाई हो सकती है. एजेंसी और यूएन दोनों ही ईरान से अपनी परमाणु गतिविधियां रोकने की मांग करते रहे हैं. उन्हें डर है कि ईरान की ये गतिविधियां परमाणु हथियार विकसित करने के लिए की जा रही हैं. अमेरिका समेत पश्चिम देश आरोप लगाते रहे हैं कि ईरान गुपचुप तरीके से परमाणु हथियार बना रहा है.
क्या है प्रस्ताव में
शुक्रवार को जो प्रस्ताव पेश होना है, उसका मसौदा मीडिया में लीक हो गया है. उसके आधार पर यह संकेत भी मिल रहे हैं कि ईरान को समझाने में लगे छह देशों के बीच जो असहमतियां और मतभेद थे, वे दूर हो रहे हैं और एकराय बन रही है. अमेरिका और उसके पश्चिमी साथी यानी ब्रिटेन फ्रांस और जर्मनी इस बात पर एकमत थे कि ईरान को सख्त से सख्त चेतावनी दी जानी चाहिए कि या तो सहयोग करे या फिर सुरक्षा परिषद की कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहे. लेकिन रूस और चीन किसी भी तरह की सख्त कार्रवाई के खिलाफ थे. वे किसी तरह की समयसीमा भी तय नहीं करना चाहते थे.
राजी हुए सारे पक्ष
प्रस्ताव के मसौदे से ऐसा लगता है कि दोनों ही पक्ष समझौते करने को तैयार हो गए हैं. इसमें ईरान द्वारा आईएईए और यूएन सुरक्षा परिषद के दिशा निर्देशों का उल्लंघन करने को लेकर 'गंभीर चिंता" जाहिर की गई है. ईरान के रूख को लेकर "गहरी और बढ़ती चिंता" जताई गई है. गंभीर चिंता या गहरी और बढ़ती चिंता कूटनीतिक हल्कों में बहुत सख्त बातें मानी जाती हैं.
साथ ही इस मसौदे में तेहरान पर सुरक्षा परिषद में चर्चा का कोई जिक्र नहीं है. यानी ऐसा कुछ नहीं कहा गया है कि ईरान ने बात न मानी तो सुरक्षा परिषद में किस तरह की कार्रवाई होगी. हालांकि पश्चिमी राजनयिकों का कहना है कि आईएईए की मार्च में होने वाली अगली बैठक में ऐसा हो सकता है.
रिपोर्टः एपी/रॉयटर्स/वी कुमार
संपादनः एन रंजन