ईहेक फैलने के लिए सब्जियों जिम्मेदार नहीं
४ जून २०११रोम की लैबोरेटरी ने बयान में कहा, "सब्जियों के इस्तेमाल पर चेतावनी देना सही नहीं है क्योंकि लैबोरेटरी के प्रयोगों से यह सिद्ध नहीं होता कि सब्जियां खाने के कारण यह संक्रमण हुआ है."
वहीं इटली के हायर इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ आईएसएस ने कहा कि रसोई में सामान्य साफ सफाई का ध्यान रखना जैसे कि खाना पकाने से पहले हाथ और सब्जियां धोएं. चाकू, किचन साफ रखें.
फिलहाल ईहेक का संक्रमण 12 देशों में फैल गया है लेकिन बीमारी फैलना रूक गई है. कुल लोगों के मरने वालों की संख्या 19 हो गई है.
जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने स्पेन के खीरे पर रोक लगाने को सही बताया. जबकि रूसी प्रधानमंत्री ने यूरोप से आने वाली सब्जियों पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया था कि वह नहीं चाहते कि रूसी नागरियों में यह संक्रमण हो. जर्मनी में 2,000 से ज्यादा लोग ईहेक संक्रमण का शिकार हैं. इनमें पेट में मरोड़. डायरिया, बुखार और उल्टी के लक्षण देखे गए.
फ्रांस में ई कोलाई पर शोध करने वाले राष्ट्रीय शोध संस्थान के प्रमु फ्रांकॉय खाविएर वाइल ने कहा, "यह एचयूएस का सबसे बड़ा संक्रमण है."
ईहेक के कारण किडनी काम करना बंद कर देती है जिसे एचयूएस सिन्ड्रोम कहते हैं. इसके कुल 550 मामले सामने आए हैं जिनमें से 12 जर्मनी में और एक स्वीडन में था. "जब तक हम इस बात का पता नहीं लगा लेते कि किस खाने के कारण यह संक्रमण हुआ है. वाइल ने पुष्टि की कि यह नई प्रजाति ई कोलाई की है और कई लैब में जांच के दौरान मिली. लेकिन यह एकदम नई नहीं है. यह पहले कोरिया में मिली थी."
वाइल का कहना था कि कुछ एंटीबायोटिक इस पर काम करती हैं लेकिन इससे संक्रमण और आक्रामक हो जाता है. "जब आप इस बैक्टीरिया को एंटीबायटिक से खत्म करते हैं तो यह शिगा नाम का जहर उगलता है. यह खून की कोषिकाओं और छोटी रक्त शिराओं को नष्ट कर देता है इससे खूनी पेचिश होता है."
सबसे सही इलाज यही है कि जहर के कारण शरीर में कम हुए तत्वों को शरीर में डाला जाए. रक्त कोषिकाएं, प्लेटलेट्स की भरपाई करते रहना. गंभीर मामलों में ट्रांसफ्यूजन, डायलिसिस या प्लाजमा बदलना पड़ा सकता है. लेकिन डायरिया रोकने वाली दवाई नहीं लेनी चाहिए क्योंकि शरीर से जल्दी से जल्दी यह बैक्टीरिया और इसका जहर खत्म होना चाहिए.
सामान्य तौर पर मांस, बीफ, कच्चा दूध या चीज इस संक्रमण का कारण होते हैं लेकिन इस बार कच्ची सब्जियों पर शक की सुई है. इस बीमारी की एक खास बात यह भी है कि 80 फीसदी बीमार लोगों में 70 महिलाएं हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः एस गौड़