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उड़न तश्तरियों की तलाश में

२१ नवम्बर २०१०

"मदद कीजिए, मैंने अभी अभी एक ऊफो को देखा है," ऊफो हॉटलाइन के ऑपरेटर वैर्नर वाल्टर को अक्सर ऐसे फोन आते हैं. उफो मतलब अनजाना सा उड़ने वाला कोई सामान. जिसे उड़न तश्तरी भी कहते हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/ ZB

कॉल आने के बाद वाल्टर देखने वाले के दावे की सच्चाई जांचने में जुट जाते हैं और आम तौर पर नतीजा निराश करने वाला होता है. वाल्टर जानते हैं कि जब भी कोई उफो आसपास होगा कम से कम एक फोन तो उनके पास जरूर आएगा. 35 साल के वाल्टर कहते हैं, "उफो दिखने के लिए मौसम का अच्छा होना जरुरी है." वाल्टर के मुताबिक अच्छे मौसम में दूर तक की चीजें साफ दिखती हैं और ऐसे में उनके पास उफो देखने का दावा करने वाले फोन आते हैं. अपने बारे में वाल्टर कहते हैं,"मैं उफो के बारे में रिसर्च कर रहा हूं"

Belgien eröffnet Forschungsbasis in der Antarktis
तस्वीर: AP

वाल्टर का काम किसी रिसर्च से ज्यादा जासूसी का है. जब भी किसी उफो को देखने का दावा करने वाला फोन आता है तो वो उपग्रहों, विमान और अंतरिक्ष की जानकारी के साथ ही वाजिब वजहों के आधार पर ये जानने की कोशिश करते हैं कि क्या सचमुच कोई उफो दिखा होगा. ज्यादातर मामलों में उफो नजर आने की वजह सामान्य घटनाएं होती है. कभी कोई तारा टूटता है या फिर, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से कोई रॉकेट छोड़ा जाता है.

उफो पर वाल्टर एक किताब भी लिख चुके हैं. वो कहते हैं,"उफो आकाश में उड़ने वाली वैसी चीजें हैं जिन्हें कोई नहीं पहचानता."

2007 में वाल्टर ने अपना रिसर्च अचानक रोक दिया होता अगर जर्मन फुटबॉल लीग बुंडेसलीगा में स्टुटगार्ट ने खिताबी मैच नहीं जीता होता. कभी सेल्समैन के रूप में काम कर चुके वाल्टर को लगा कि उनका काम खत्म हो गया है. इस मुद्दे पर एक्स फाइल जैसे टीवी पर कई कार्यक्रम आ चुके थे और वाल्टर के मुताबिक बहुत कुछ करने को बचा नहीं था.अचानक 2007 में आसमान में कई उफो के नजर आने की घटनाएं हुईं और कोई भी उनके दिखने की वजह नहीं बता सका. वाल्टर कहते हैं कि तब सुबह 3 बजे तक लगातार उनके पास फोन आते थे. दक्षिणी जर्मनी के बाडेन वुर्टेमबर्ग से एक फोन आया और तब टीवी रिपोर्ट देखने के बाद वाल्टर ने यूफो की गुत्थी सुलझा दी. दरअसल वो यूफो चीनी लालटेन थी जो स्टुटगार्ट के फुटबॉल प्रेमियों ने अपनी टीम की जीत की खुशी में उड़ाई थी.

लालटेन उड़ते रहे और वाल्टर के पास फोन आते रहे. इन लालटेनों ने लोगों को किस कदर दीवाना बना दिया इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि 1976 से 2005 तक यूफो देखने के बाद कुल 1400 लोगों ने फोन किया लेकिन केवल 2007 में ही 600 लोगों ने यूफो देखने का दावा किया. इसके अगले साल तो ये संख्या 1800 तक पहुंच गई.

चीनी लालटेन देख कर फोन करने वालों से नाराज वाल्टर ने फोन का उत्तर देने वाली मशीन दीवार पर दे मारी. वो कुछ दिलचस्प दावों की छानबीन करना चाहते थे लेकिन चीनी लालटेनों ने उनका जीना हराम कर दिया था.

एक बार एक पायलट ने उनके पास विमान की खिड़की से ली गई अनोखी तस्वीर भेजी जिसमें रोशनी का एक बड़ा और लंबा दायरा दिख रहा था. बाद में ये अंतरराष्ट्रीय स्पेश स्टेशन का एक रॉकेट निकला. इस तरह के दिलचस्प वाकये उन्हें इस काम में व्यस्त रखते हैं. फोन पर आया हर दावा उन्हें इसकी छानबीन करने के लिए उकसाता है और वो पुरानी बातें भूलकर जुट जाते हैं एक बार फिर नए दावों की जांच करने में. इस काम ने उन्हें कुछ दोस्त दिए हैं तो कुछ दुश्मन भी, पर वो सब कुछ भूल कर बस यूफो की तलाश करते रहना चाहते हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एन रंजन

संपादन: महेश झा

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