एक जैसे इंसान और कुत्ते
२२ फ़रवरी २०१४हंगरी के वैज्ञानिकों ने कुत्ते और इंसान की दोस्ती को समझने के लिए कुत्तों के दिमाग का एमआरआई टेस्ट किया. रिसर्च में पता चला कि कुत्ते इंसान की आवाज में छिपे गुस्से, दुख, प्यार या खुशी को भांप लेते हैं. वैज्ञानिकों के मुताबिक शायद इसी वजह से कुत्ते और इंसान के बीच इतनी गहरी दोस्ती हुई.
बुडापेस्ट की इयोटवोएस लोरांड यूनिवर्सिटी की इस रिसर्च की प्रमुख डॉक्टर एटिला एनडिक्स कहती हैं, "हमें लगता है कि भावनात्मक जानकारी की प्रोसेसिंग के मामले में कुत्ते और इंसान का तंत्र एक जैसा है." ये तंत्र एक ही ढंग से आवाज में छुपी भावनाओं का विश्लेषण करता है.
रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों ने 22 इंसानों और 12 कुत्तों पर परीक्षण किया. दोनों को 200 से ज्यादा आवाजें सुनाई गईं. इस दौरान इंसान और कुत्तों के मतिष्क में हुई हलचल एक सी थी. दोनों को जब एक दूसरे की अलग अलग तरह की आवाजें सुनाई गईं तो भी उन्हें एक दूसरे के मूड का भी पता चल गया.
डॉक्टर एनडिक्स कहती हैं, "हमें ये अच्छे से पता है कि कुत्ते अपने मालिक की भावनाओं को बड़ी अच्छी तरह समझते हैं. हमें ये भी पता है कि मालिक भी कुत्ते के बदले मूड को पहचान लेते हैं, लेकिन अब यह समझ आ गया है कि ऐसा कैसे होता है."
दुनिया में कुत्तों की 400 से ज्यादा किस्में हैं. इतनी किस्में किसी और स्तनधारी की नहीं हैं. इस बात पर मतभेद हैं कि इंसान और कुत्ते कब एक दूसरे के साथ आए. लेकिन वैज्ञानिक यह जरूर मानते हैं कि लाखों साल पहले पालतू पशु के रूप में इंसान की सबसे पहले भेड़िये से ही दोस्ती हुई. तब खानाबदोश इंसान दिन के उजाले में शिकार किया करता था. भेड़िया भी ऐसा ही करता था. अनुमान है कि उस वक्त कुछ भेड़िये हड्डी और बचा खुचा मांस खाने के लिए इंसानी आबादी के आस पास मंडराने लगे. भेड़ियों की वजह रात के अंधेरे में इंसान को खतरे का अहसास भी जल्द होने लगा. एक दूसरे के काम आने की यह आदत धीरे धीरे दोस्ती बदल गई. एक बार यह दोस्ती होते ही भेड़िये इंसान के साथ ही रहने लगे और धीरे धीरे एक नई प्रजाति सामने आई, जिसे आज कुत्ता कहा जाता है.
विकास के साथ कुत्ते पशुपालन और सुरक्षा में इंसान की मदद करने लगे. यह दोतरफा सहयोग आज भी चल रहा है. रिसर्चरों के मुताबिक कुत्ते अपने मालिक की हर तरह से मदद करने की भी कोशिश करते हैं. अगर उन्हें सिखाया जाए तो वो कई काम आराम से करते हैं, अगर न सिखाया जाए तो मदद की एकतरफा कोशिश में वो शैतानी करते दिखाई पड़ते हैं.
रिपोर्टः ओंकार सिंह जनौटी
संपादनः आभा मोंढे