एकीकरण के बाइस साल, अंतर बाकी
३ अक्टूबर २०१२जर्मन एकीकरण के 22 साल बाद पूरब और पश्चिम का अंतर और बढ़ गया है. पूर्व जीडीआर के इलाके के नए प्रांतों में सकल घरेलू उत्पादन दो फीसदी गिर गया और अब वह पश्चिमी हिस्से का 71 प्रतिशत है. और उम्मीदें भी अच्छी नहीं हैं. युवा लोग विकसित इलाकों में पलायन कर रहे हैं. उद्यमों की तो बात ही छोड़ दें व्यावसायिक स्कूलों में भी छात्रों की कमी है. लोगों को पश्चिमी हिस्सों से करीब एक चौथाई कम वेतन मिलता है. लेकिन पश्चिम के रुअर जैसे इलाके भी संरचनात्मक बदलाव की मार झेल रहे हैं. लंबे समय से मांग की जा रही है कि सबसिडी अलग ढंग से बांटी जानी चाहिए. एकीकरण के उत्साह के बाद रोजमर्रा वापस लौट आया है.
नेताओं से भी भूल
सारा कुछ शांतिपूर्ण और फिर उत्साह के माहौल में शुरू हुआ. इंसान भूल भी करते हैं, यह अनुभव जीडीआर के नेता एरिष होनेकर ने 1989 में व्यक्तिगत रूप से त्रासद तरीके से किया. उन्होंने जनवरी में ऐसी घोषणा की जो दस महीने बाद ही उनकी सबसे बड़ी भूल साबित हुई. बर्लिन की दीवार के बारे में उन्होंने कहा, "वह अगले 50 और सौ साल तक भी बनी रहेगी, यदि उसके लिए जरूरी कारण नहीं बदले."
उनके नजरिए से "फासीवाद विरोधी सुरक्षा दीवार" के गिरने की राह में सबसे बड़ी बाधा पूंजीवाद थी. वह अभी भी अस्तित्व में है और एकीकृत जर्मनी में बाजार अर्थव्यवस्था समाज का लचीला और सहानुभूति रखने वाला रूप साबित हुआ है.अगर वह योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था से बेहतर नहीं होता तो जीडीआर आज भी अस्तित्व में होता.
ऐतिहासिक दिन
चार दशक से ज्यादा के विभाजन के बाद किसी देश को फिर से एक करना अभूतपूर्व उपलब्धि थी और आज भी है. उसके दौरान भी गलतियां हुईं और हो रही हैं. इसके बावजूद नतीजा देखने लायक है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पूर्वी जर्मनी के लोगों ने खुद सरकारी दमन का विरोध किया और आजादी और एकता के पक्ष में फैसला लिया. एकीकरण के लिए महत्वपूर्ण था 23 अगस्त 1990 को जीडीआर की संसद का पश्चिम जर्मनी के संविधान के प्रभाव वाले क्षेत्र में शामिल होने का फैसला. इतिहास अक्सर बहुत सामान्य और कलम का एक निशान भर होता है.
उसके बाद 3 अक्टूबर 1990 को जर्मनी का औपचारिक एकीकरण तेज बदलाव की प्रक्रिया का भावनात्मक उत्कर्ष था. अपने अस्तित्व के अंतिम साल में जीडीआर सचमुच जर्मन लोकतांत्रिक गणराज्य था, जो वह पहले कभी नहीं रहा.
एकजुटता संधि
पूर्व चांसलर विली ब्रांट की भावना के अनुरूप अब जो एक थे उन्हें राजनीतिक, भौगोलिक और सामाजिक रूप से एक साथ बढ़ना था. लेकिन दोनों इलाकों की आर्थिक संरचनाएं अलग थीं. पूरब का उद्योग अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लायक नहीं था. उनमें बहुत ज्यादा लोग काम करते थे, उत्पादकता कम थी और क्वालिटी पश्चिम से कमतर. आने वाले कुछ सालों में पूर्व जीडीआर के 14,000 सरकारी उद्यमों को बेच दिया गया. 2019 तक चलने वाली एकजुटता संधि के तहत 1990 से 2010 के बीच पूर्वी प्रांतों को विकास के लिए 1.4 अरब यूरो मिले. इनमें से दो तिहाई सामाजिक भत्ते पर खर्च हुए.
पूर्वी जर्मनी के नजरिए से यह सौभाग्य था कि पश्चिमी जर्मनी की आर्थिक ताकत की मदद से खस्ताहाल पूर्वी जर्मन समाजवादी अर्थव्यवस्था को ठीक किया जा सके.पश्चिम जर्मन नजरिए से एकजुटता संधि और एकजुटता कर लगाना बहुत स्वाभाविक बात थी. लेकिन एकीकरण के 21 साल बाद अब इसे स्वीकार करने की सीमाएं दिख रही हैं.
खासकर एकजुटता कर से मिली राशि का बंटवारा सिर्फ दिशा के नाम पर करने पर विवाद है. पश्चिम में भी बहुत से इलाके उसी तरह की संरचनात्मक मुश्किलों का सामना कर रहे हैं जैसे पूर्वी प्रांत एकीकरण के बाद कर रहे थे, दिवालिया उद्योग, ऊंची बेरोजगारी, कामगारों का पलायन और कर्ज में डूबी नगरपालिकाएं. खासकर रुअर और राइन के बीच स्थित औद्योगिक इलाके में जरूरत के हिसाब से सबसिडी बांटने की मांग जोर पकड़ रही है. पूरब के नेता भी न्याय की मांग के औचित्य को स्वीकार कर रहे हैं.
पश्चिम में पूरब
दोनों इलाकों की तुलना बहुत सी बातों को साफ कर देती है. ओबरहाउजेन, गेल्जेनकिर्षेन या वान्ने-आइकेल जैसे इलाके पूर्वी शहरों से कतई बेहतर नहीं. शायद उनसे बदतर हालत में ही हैं. पश्चिमी शहरों के कई मेयर अब पूरब के शहरों की मदद के लिए और कर्ज नहीं लेना चाहते. और यही पश्चिम के बहुत से लोग भी महसूस कर रहे हैं, जिनके शहरों में पिछले सालों में लाइब्रेरी, स्विमिंग पूल या परामर्श केंद्रों को बंद होना आम बात हो गई है, क्योंकि नगरपालिकाओं के पास पैसा नहीं है.
यह तय है कि पश्चिम में मदद की भावना कमजोर हुई है. पूर्वी जर्मनी के शिकार होने की भूमिका का तीखा आकलन हो रहा है, आम तौर पर उचित अनुचित देखते हुए. सेक्सनी और थुरिंजिया के बहुत से इलाकों को अब मदद की जरूरत नहीं है, लेकिन दूसरी ओर उत्तरी जर्मनी और रुअर इलाके के बहुत से शहर कर्ज की मार झेल रहे हैं. एकजुटता संधि अगले संसदीय चुनावों के बाद बहस के केंद्र में रहेगा. उसके बाद पूरी जर्मनी के लिए एक नीति बनेगी. कम से कम यह इस मोर्चे पर एकीकरण होगा.
रिपोर्ट: मार्सेल फुर्स्टेनाऊ/एमजे
संपादन: आभा मोंढे