एकीकरण खरीदने तक को तैयार था पश्चिमी जर्मनी
२ अक्टूबर २०११डेयर श्पीगल ने इस हफ्ते के अपने अंक में लिखा है कि जर्मन एकीकरण के लिए पश्चिमी जर्मनी 1960 के दशक में अरबों मार्क्स देने को तैयार था. 3 अक्तूबर को जर्मनी के एकीकरण को 21 साल पूरे हो रहे हैं. इस मौके पर देशभर में समारोह आयोजित किए गए हैं.
सीआईए के दस्तावेजों से
डेयर श्पीगल ने इस मौके पर खास अंक निकाला है जिसमें यह जानकारी दी गई है. इसके मुताबिक 1963 से 1966 तक पश्चिमी जर्मनी के चांसलर रहे क्रिश्चन-डेमोक्रैट लुडविक एरहार्ड ने एकीकरण की कीमत भी लगा दी थी. वह 10 साल तक दो अरब डॉलर सालाना देने को भी राजी थे. पत्रिका ने यह खुलासा तब चांसलरी के सदस्य रहे एक व्यक्ति के बयान के आधार पर किया है.
सोवियत संघ को 'एरहार्ड योजना' पेश की गई थी. तब सोवियत संघ के नेता निकिता ख्रुश्चेव थे. ख्रुश्चेव 1953 से 1964 तक नेता रहे. उनके शासन के दौरान अमेरिका ने एरहार्ड योजना पेश की थी. पत्रिका के मुताबिक इसका पता सीआईए के गोपनीय दस्तावेजों से चला है.
लेकिन यह योजना कभी सिरे नहीं चढ़ पाई क्योंकि तब के कई अमेरिकी राजनयिक इस योजना से खुश नहीं थे. पत्रिका के मुताबिक उन्हें यह योजना 'अपरिपक्व और अवास्तविक' लगी. इसलिए यह योजना कभी पूरी नहीं हो पाई.
टूटकर जुड़ना
दूसरे विश्व युद्ध के बाद जर्मनी को चार हिस्सों में बांट दिया गया था. रूस, अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन को एक एक हिस्से पर कब्जा मिल गया. 1949 में इन चार हिस्सों के दो देश पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी बना दिए गए. इन्हें फेडरल रिपब्लिक ऑफ जर्मनी (पश्चिम) और जर्मन डेमोक्रैटिक रिपब्लिक (ईस्ट) कहा गया.
41 साल तक पूरी दुनिया इन दो देशों के साथ साथ बंटी रही और शीतयुद्ध से जूझती रही. जब तक ये दोनों हिस्से अलग रहे, पूरी दुनिया पर एक भयंकर परमाणु युद्ध का खतरा मंडराता रहा. 9 नवंबर 1980 को बर्लिन दीवार गिरा दी गई. और बर्लिन की दीवार गिर जाने के बाद 3 अक्तूबर 1990 को पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी एक हो गए.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः एन रंजन