एनएचकेः संकट के समय काबिले तारीफ काम
७ अप्रैल २०११1953 से एनएचके जापान का राष्ट्रीय रेडियो है और कई टीवी और रेडियो चैनलों के जरिए इसके कार्यक्रम आते हैं. जब बात भूकंप की चेतावनी की होती है तो एनएचके की टीआरपी बहुत बढ़ जाती है. दरअसल भूकंप की चेतावनी के लिए जो तकनीक एनएचके के पास है वह किसी के पास नहीं.
जापान में 11 मार्च को आए भूकंप और सूनामी की रिपोर्टिंग कैसे हुई और सुनामी के भयंकर और विचलित कर देने वाले दृश्यों के बीच रिपोर्टर कैसे संयमित रहे, इस बारे में डॉयचे वेले की सिल्के बालवेग ने एनएचके रेडियो के समाचार प्रमुख युशिहिको शिमिजु से मुलाकात की.
11 मार्च का दिन
11 मार्च के दिन एनएचके का सेटेलाइट प्रोग्राम दोपहर जापान की संसद से समाचार दे रहा था. यह देखा जा सकता था कि संसद में प्रतिनिधि किस तरह से बातचीत कर रहे हैं और बहस कर रहे हैं. लेकिन एक ही मिनट के अंदर एक सिगनल आता है. स्थानीय समय के हिसाब से दोपहर 2.46 बजे नीले रंग के अक्षरों के साथ एक नक्शा आ जाता है. संसद के स्टूडियो से रिपोर्टर राजनीति की रिपोर्ट छोड़कर अचानक बताने लगता है कि होंशु द्वीप पर भी भूंकप आया है.
एनएचके में कई साल से भूकंप के पहले चेतावनी देने वाला एक सिस्टम लगा हुआ है. जैसे ही जापान में किसी एक जगह पर भूकंप आता है, एनएचके के सभी चैनल भूकंप के बारे में जानकारी पर अपने आप शिफ्ट हो जाते हैं.
खास प्रणाली
इस जानकारी की एक खास बात यह है कि भूकंप के झटकों से सब कुछ हिलने से पहले ही यह प्रणाली पता लगा लेती है कि भूकंप आने वाला है. भूकंप के झटके से पहले धरती से नीचे दो तरह की भूकंपीय लहरें उठती हैं. एनएचके में जो प्रणाली लगी हुई है वह पहली कम गंभीर लहर को पकड़ लेती है और अपने आप सभी टीवी और रेडियो चैनलों पर भूकंप की चेतावनी आ जाती है. दूसरी भूकंपीय लहर से धरती के ऊपर भूकंप के झटके महसूस होते हैं. दोनों के बीच कुछ सेकंडों का अंतर जीवन बचा सकता है क्योंकि उस समय में लोगों के पास समय होता है सुरक्षित जगह पर पहुंचने का.
तेज काम
जिस समय भूकंप का झटका महसूस हुआ, एनएचके के रिपोर्टरों को उसकी तीव्रता पता थी. भूकंप के एक मिनट बाद ही रेडियो और टीवी में विशेष कार्यक्रम शुरू हो गया. 56 साल के युशिहिको शिमित्सु 2008 से एनएचके के समाचार प्रमुख हैं. वह बताते हैं, "एनएचके में एक ऑटोमेटिक सिस्टम है. जब रिक्टर पैमाने पर छह से ज्यादा तीव्रता का भूकंप आता है तो हमारा कार्यक्रम ऑटोमेटिक बदल जाता है. हमारे पत्रकारों के पास विशेष कार्यक्रम शुरू करने के लिए करीब एक मिनट का समय होता है. यह बहुत वक्त नहीं है लेकिन काम हो जाता है. 24 घंटे हमारे यहां एक एंकर होता है जो किसी भी वक्त स्टूडियो में जा सकता है और लाइव विशेष कार्यक्रम शुरू सकता है."
टोक्यो में पत्रकारों को यह पता लग गया था कि इस भूकंप के कारण सुनामी आई है. एनएचके के पास 12 हेलीकॉप्टर हैं. वह पूरे जापान में रखे गए हैं और किसी भी समय उड़ने को तैयार हैं. इसलिए 11 मार्च को सुनामी आने के कुछ ही समय बाद दुनिया भर में जापान के पूर्वी तट पर सुनामी के वीडियो देखे जा सकते थे कि कैसे सुनामी की लहरें सेंदाई पर पहुंची.
सावधान रिपोर्टर
दुनिया भर के लोग ये वीडियो देख कर आवाक, दुखी और टूटे हुए थे लेकिन एनएचके के रिपोर्टर पूरे समय ऑब्जेक्टिव दिखाई दिए. शिमित्सु कहते हैं कि ऐसा ही होना चाहिए, "चाहे जो हो जाए. भले ही उन्हें कोई कार, ट्रक, पानी में बहते दिखाई दें लेकिन हमारे एंकर को संयमित ही बने रहना है. क्योंकि अगर वह भावुक होते हैं तो जनता और भावुक हो जाएगी. हमारे एंकर को संयमित और शांत रहने की सलाह दी गई है. हम घबराहट नहीं फैलाना चाहते."
भूकंप के चार सप्ताह बाद भी पुकुशिमा की स्थिति के कारण एनएचके इस बारे में समाचार दे रहा है. लेकिन टेपको से जानकारी कम मिलती है इसलिए उन्हें जानकारी आगे पहुंचाने में मुश्किल हो रही है. शिमित्सु कहते हैं, "वैसे तो हमें सभी जानकारी आगे पहुंचानी है, जो हमें मिलती है. लेकिन हमें बहुत ध्यान रखना पड़ता है और सोचना पड़ता है कि अगर हमने लोगों में घबराहट फैला दी तो क्या होगा."
शिमित्सु कहते हैं कि रेडियोधर्मी बादल टोकियो की ओर बढ़ रहा है, ऐसी हेडलाइन अभी नहीं दे सकते. "क्योंकि अगर हम कहेंगे कि रेडियोधर्मी विकिरण पहुंच रहे हैं तो 10 करोड़ लोग घबरा जाएंगे. इसलिए इस तरह के समाचार हमें सावधानी से देना हैं."
आलोचना भी हुई
हालांकि इसी मुद्दे पर एनएचके को आलोचना भी झेलनी पड़ी है. कई जापानियों का मानना है कि एनएचके को टेपको और सरकार की कड़ी आलोचना करनी चाहिए.
भले ही जापान में लोग टेपको, परमाणु ऊर्जा और सरकार की कड़ी आलोचना कर रहे हों पर इस भयावह प्राकृतिक आपदा में जिस संयम, शांति और एकता से जापान के लोग रहे हैं वह न सिर्फ तारीफ के काबिल है, दूसरों के लिए सबक भी है.
रिपोर्टः डॉयचे वेले/आभा मोंढे
संपादनः ए कुमार