ओलंपिक पर भारत का करोड़ों का खर्चा
३ जुलाई २०१२ज्यादा से ज्यादा पदक जीतने के लिए खिलाड़ियों ने भी मेहनत की है तो सरकार ने भी पहले से 10 गुना ज्यादा खर्चा किया है. ओलंपिक की तैयारियों को भारत ने 'ऑपरेशन एक्सलेंस प्रोग्राम' नाम दिया है और सरकार ने इस बार 5 करोड़ डॉलर का खर्चा किया है, यानी ढाई सौ करोड़ रुपयों से भी अधिक. यह साल 2000 की तुलना में दस गुना खर्च है.
सिर्फ सरकार ही नहीं उद्योगपति लक्ष्मी मित्तल, खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण और गीत सेठी के संगठनों ने भी खिलाड़ियों को तैयार करने में खूब खर्चा किया है. ओलंपिक में भारत हॉकी की वजह से जाना जाता रहा है. हॉकी में 8 बार स्वर्ण पदक जीतने वाले भारत के खिलाड़ियों का व्यक्तिगत प्रदर्शन ओलंपिक में कमजोर ही रहा है. हालांकि अब स्थितियां बदलने लगी हैं.
अभिनव बिंद्रा पर नजर
2008 में भारत के निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर की निशानेबाजी में स्वर्ण पदक जीतकर एक नया खिताब बनाया था. अभिनव पहले ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने ओलंपिक में भारत के लिए व्यक्तिगत रूप से पदक जीता था. पहलवान सुशील कुमार और बॉक्सर विजेंदर सिंह ने भी बीजिंग ओलंपिक में भारत के लिए पदक जीता.
भारत के सीनियर ओलंपिक खिलाड़ी रणधीर सिंह का कहना है कि बिंद्रा की जीत ने लोगों के दिमाग में आशा की नई किरण जगा दी. अब लंदन से नई उम्मीदे हैं, ''बीजिंग में इसकी शुरुआत हुई और अब लंदन में यह स्वप्न में आगे बढ़ेगा.'' 29 साल के बिंद्रा चौथी बार ओलंपिक में हिस्सा लेंगे और इस बार भी उन्हें जीत की उम्मीद है. मशहूर पत्रिका इंडिया टुडे से बातचीत करते हुए उन्होने कहा, ''भारत के खिलाड़ी आज ज्यादा आत्मविश्वास से भरे हुए हैं. उन्हें ज्यादा मौका भी मिल रहा है और वे ज्यादा प्रतिस्पर्धी भी हैं.''
सरकार का सहयोग
खिलाड़ियों में यह आत्मविश्वास सरकार के सहयोग से भी पैदा हुआ है. भारत के उम्दा खिलाड़ियों को बेहतरीन प्रशिक्षण सुविधाएं, खाने-पीने का समुचित प्रबंध और निजी फिजियो थेरेपिस्ट दिए गए हैं. ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा का मुकाबला हमवतन गगन नारंग से होगा. गगन नारंग ने साल 2010 में हुए कॉमनवेल्थ खेलों में चार पदक जीते. राजीव गांधी खेल पुरस्कार पा चुके गगन नारंग का कहना है, '' अभी कुछ नहीं कहा जा सकता कि शूटिंग में हम कैसा करेंगे लेकिन हमें विश्वास है कि हम लंदन में बढ़िया खेलेंगे.''
इसी तरह 31 साल के रंजन सोढी चीन में हुए एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं. 2010 और 2012 में वह दो बार विश्व चैंपियन भी रह चुके हैं. लंदन ओलंपिक उनके लिए आखिरी मौका है जब वह डबल ट्रैप में पदक जीत सकते हैं. साल में 6 महीने के लिए इटली में प्रशिक्षण लेने वाले सोढ़ी का कहना है, '' यह मेरे करियर का सबसे अहम मोड़ है. लंदन में मैं सर्वश्रेष्ठ कोशिश करूंगा, इसके बाद अपने बच्चों और पत्नी को वक्त दूंगा.''
किस किस से उम्मीदें
पांच बार की विश्व चैंपियन रह चुकी बॉक्सर मैरी काम भी लंदन में पदक जीतने की उम्मीद कर रही हैं. हालांकि चीन में 2008 में हुए ओलंपिक में वह क्वार्टर फाइनल से ही बाहर हो गई थीं, लेकिन इस बार उन्होने कड़ी तैयारी की है. इस बार मैरी काम 48 किलोग्राम वर्ग में हिस्सा ले रही हैं. भारत की ओर से जिन दूसरे खिलाड़ियों से पदक की उम्मीद हैं उनमें बैडमिंटन खिलाड़ी सानिया नेहवाल, बॉक्सर विकास कृष्णन और चक्का फेंकने वाले खिलाड़ी विकास गौडा प्रमुख हैं.
टेनिस में महेश भूपति, रोहन बोपन्ना और लीएंडर पेस, विष्णु वर्धन की जोड़ियों पर भी सबकी नजरें रहेंगी. सानिया मिर्जा का पेस के साथ प्रदर्शन भी अहम होगा.
वीडी,आईबी (एएफपी)