कई गुना बढ़ने वाली है अमीरों की तादाद
१० सितम्बर २०११एशिया अमीरों की बस्ती बनता जा रहा है. इस महाद्वीप में इस वक्त 12 लाख ऐसे व्यक्ति हैं जिनकी 2010 की आय 10 लाख अमेरिकी डॉलर से ज्यादा रही. 2015 तक ऐसे अमीरों की तादाद 140 फीसदी तक बढ़ सकती है.
ब्रोकरेज और इन्वेस्टमेंट फर्म सीएलसीए एशिया-पैसिफिक ने कहा है कि इस क्षेत्र में धन लगभग बरस रहा है. फर्म का अनुमान है कि 2015 तक एशिया में 28 लाख से ज्यादा करोड़पति होंगे.
सीएलसीए की रिपोर्ट में चीन, हॉन्ग कॉन्ग, भारत, इंडोनेशिया, मलयेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, ताईवान और थाईलैंड को शामिल किया गया है. 2010 में इन सभी मुल्कों के कुल 0.06 फीसदी लोग करोड़पति थे.
सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग में तो अमीरों का तांता लगा हुआ है. इन दोनों देशों की कुल जनसंख्या का 1.5 फीसदी हिस्सा ऐसा है जिसके पास 10 लाख डॉलर से ज्यादा की संपत्ति थी.
रिपोर्टे के मुताबिक अमीरी के मामले में सबसे आगे चीन रहेगा. यहां अमीरों की बढ़ोतरी की फीसदी सबसे ज्यादा रहेगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन में 2010 से 2015 के बीच अमीरों की संपत्ति में 60 फीसदी की दर से बढ़ोतरी होगी.
लेकिन ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं है कि एशियाई लोग बहुत ज्यादा मेहनत कर रहे हैं या फिर उनके देशों की अर्थव्यवस्था सुधर रही है. इसकी एक बड़ी वजह डॉलर की कीमत में उतार चढ़ाव भी है. दरअसल एशियाई करंसी में अमेरिकी डॉलर के मुताबिक चार फीसदी तक का सुधार होगा. इसका फायदा अमीरों को मिलेगा. जितनी कुल संपत्ति 2015 तक बढ़नी है, उसका एक तिहाई हिस्सा तो इसी वजह से बढ़ जाएगा.
कंपनी के लिए रिपोर्ट लिखने वाले अमर गिल कहते हैं, "एशिया में आने वाले सालों में धन पैदा होने की वजहें बहुत ज्यादा सकारात्मक हैं. यहां कि अर्थव्यवस्थाएं दुनिया के बाकी किसी भी हिस्से के मुकाबले तेजी से बढ़ रही हैं. बचत बहुत ज्यादा है. करंसी भी सुधर रही है."
गिल कहते हैं कि एशिया में अमीरों के बढ़ने का फायदा लाजमी तौर पर बाकी देशों को भी होगा. वह कहते हैं, "एशिया अमीर होगा, तो यहां के लोगों की खर्च करने की क्षमता में दर्जनों गुना बढ़ोतरी होगी."
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः एन रंजन