कर्ज संकट में यूरोप से और प्रयासों की मांग
२५ फ़रवरी २०१२मेक्सिको सिटी में चोटी के औद्योगिक और विकासशील देशों के संगठन जी-20 के वित्त मंत्रियों और रिजर्व बैंक प्रमुखों की भेंट से पहले कई देशों ने कहा है कि यूरोपीय देशों को कर्ज संकट से निबटने के लिए स्वयं कदम उठाने चाहिए, उसके बाद वे मुद्रा कोष से मदद की उम्मीद कर सकते हैं. जर्मनी के केंद्रीय बैंक बुंडेसबांक के गवर्नर येंस वाइडेमन ने भी कहा है कि इस बैठक में मुद्रा कोष के सहायता कोष में इजाफे की संभावना नहीं है.
छह सौ अरब की जरूरत
यूरोपीय देश जी-20 के दूसरे देशों को इस बात के लिए मनाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे कर्ज संकट को गंभीर होने से रोकने के प्रयासों में वित्तीय रूप से शामिल हों. इसका एक रास्ता यह हो सकता है कि चीन और जापान जैसे अच्छी आर्थिक स्थिति वाले देश मुद्रा कोष को कर्ज दें जिसका इस्तेमाल यूरोपीय देशों की मदद के लिए किया जा सकता है. पिछले दिनों अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 600 अरब डॉलर की जरूरत बताई थी जिसमें से 500 अरब से मदद हो सकती है.
इसमें से 200 अरब डॉलर यूरोप से आएगा. लेकिन अमेरिका जैसे देशों का कहना है कि यूरो देशों को मुद्रा कोष से सहायता लेने से पहले अपने बचाव कोषों को मजबूत बनाना चाहिए. इन देशों का कहना है कि यूरोप को पहले कदम उठाने होंगे. भारतीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने भी कहा था कि कर्ज संकट के लिए यूरोजोन के देशों को एक "विश्वसनीय पैकेज" लेकर आना होगा.
बैठक की मेजबानी कर रहे मेक्सिको के वित्त मंत्री खोजे अंटोनियो मीड ने कहा है, "मुद्रा कोष की पूंजी बढ़ाने के सिलसिले में आंकड़ों और उसके तरीकों के बारे में बात करना अभी जल्दबाजी होगी." उधर अमेरिकी वित्त मंत्री टिमोथी गाइथनर ने कहा है कि वे नहीं चाहते कि मुद्रा कोष यूरोपीय कदमों का विकल्प बने. अमेरिकी सरकार अगर मुद्रा कोष को अधिक धन देना भी चाहे, फिर भी चुनाव के साल में इसे कांग्रेस में पास करवाना मुश्किल होगा. लेकिन भारत, चीन या ब्राजील पर यह बात लागू नहीं होती.
यूरोपीय संघ के राज्य व सरकार प्रमुख मार्च के शुरू में ब्रसेल्स में होने वाली अपनी बैठक में बचाव पैकेज के आकार पर बातचीत करेंगे. वहां होने वाले फैसलों पर निर्भर करेगा कि जी-20 के महत्वपूर्ण देश मुद्रा कोष के जरिए कर्ज संकट को दूर करने के प्रयासों में शामिल होंगे. मेक्सिको के केंद्रीय बैंक के गवर्नर ऑगुस्टीन कार्स्टेन्स ने शिकायत की है कि बहुत से देशों में संकट के समय फैसले टाले गए हैं. उन्होंने कहा कि यदि यूरोपीय जल्द फैसला लेंगे तो यह विश्व अर्थव्यवस्था के लिए उम्मीद देने वाला होगा.
जर्मनी पर खासा दबाव
जी-20 की बैठक में जर्मनी के ऊपर सदस्य देशों का खासा दबाव है. जर्मनी की आलोचना का मुख्य मुद्दा यह है कि सिर्फ बचत करने पर जोर देकर जर्मनी ने ग्रीस जैसे देशों को और जोरदार तरीके से संकट में धकेल दिया है. येंस वाइडेमन ने इसे गलत बताया है और कहा है कि जर्मन यूरोपीय बचाव प्रयासों में अनुपात से ज्यादा योगदान दे रहा है. बजट अनुशासन के बिना भरोसा और स्थिरता वापस नहीं लाई जा सकती. उन्होंने कहा कि दूसरे देशों की व्यापक भागीदारी की स्थिति में जर्मनी मुद्रा कोष में 42 अरब डॉलर का योगदान देने को तैयार है.
जी-20 की मंत्रिस्तरीय बैठक शनिवार को शुरू हो रही है. ग्रीस के लिए दूसरे सहायता पैकेज पर संसद में होने वाले मतदान की वजह से जर्मन वित्त मंत्री वोल्फगांग शौएब्ले बैठक समाप्त होने से पहले ही जर्मनी के लिए रवाना हो जाएंगे. भारतीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी बैठक में शामिल होने गए ही नहीं है. वह भारत के सालाना आम बजट की तैयारियों में व्यस्त हैं. भारत की तरफ से रिजर्व बैंक के गवर्वर डी सुब्बाराव और आर्थिक मामलों के सचिव आर गोपालन इस बैठक में हिस्सा ले रहे हैं.
रिपोर्टः रॉयटर्स/महेश झा
संपादनः एन रंजन