चीन अपनी जिम्मेदारी समझेः अमेरिका
१५ फ़रवरी २०१२ओबामा से मुलाकात
जिनपिंग इसी हफ्ते वॉशिंगटन पहुंचे. मंगलवार वह अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन गए जहां पूरे सम्मान के साथ उनका स्वागत किया गया. इसके बाद शाम को उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा से मुलाकात की. चीन और अमेरिका के रिश्तों में उतार चढ़ाव रहे हैं. इस मुलाकात के दौरान भी तनाव के बादल पूरी नहीं हटे लेकिन राष्ट्रपति ओबामा ने कहा कि चीन के साथ संबंध अमेरिका के लिए बेहद जरूरी हैं और इस मुलाकात से उन्हें आगे बढ़ने में मदद मिल सकती है. ओबामा ने कहा, "जब ताकत और समृद्धि बढ़ती है तो जिम्मेदारियां भी बढ़ती हैं. हम चीन के साथ मिल कर काम करना चाहते हैं और यह बात सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जब आर्थिक सिद्धांतों की बात आती है तो सभी नियमों का पालन करें."
जिनपिंग की ओबामा से मुलाकात से पहले अमेरिका में तिब्बत के नाम के बोर्ड हाथ में लिए कई युवाओं को चीनी उप राष्ट्रपति के खिलाफ नारे लगाते देखा गया. लेकिन जहां एक तरफ तिब्बत के नाम पर नाराजगी है तो वहीं दूसरी ओर जिनपिंग अमेरिका का दिल जीतने में भी लगे हैं.
कौन हैं जिनपिंग
58 साल के सी जिनपिंग पश्चिमी देशों के लिए एक कोरे कागज जैसे हैं. जब उनकी चर्चा चलती है तो बस इतना ही कहा जाता है कि इस साल अक्तूबर में वह चीन की वामपंथी पार्टी का अध्यक्ष पद संभाल लेंगे. इसके बाद अगले साल मार्च में वह हू जिंताओ की जगह चीन के राष्ट्रपति बन जाएंगे. चीन में राष्ट्रपति पांच पांच साल के दो सत्र पूरे करते है, यानी अगला एक दशक सी जिनपिंग के नाम हो सकता है. अगर उन खबरों की मानें जिनके अनुसार आने वाले कुछ सालों में चीन की अर्थव्यवस्था अमेरिका को पीछे छोड़ देगी तो कहा जा सकता है कि यह जिनपिंग के कार्यकाल में ही देखा जाएगा.
लेकिन जिनपिंग के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बारे में कोई खास जानकारी नहीं है. हालांकि वह कई अंतरराष्ट्रीय मेहमानों का स्वागत करते रहे हैं, लेकिन उनके बयान विदेश मंत्रालय द्वारा ही छापे जाते रहे हैं. चीन में अमेरिकी राजदूत गैरी लॉक का कहना है कि जिनपिंग एक नेक इंसान हैं, लेकिन अमेरिका अब तक यह नहीं समझ पाया है कि क्या उनकी नीति हू जिंताओ से अलग होगी.
सीधे सादे जिनपिंग
जिनपिंग को जानने वाले चीन के जानकारों का कहना है कि वह सही उम्मीदवार इसीलिए हैं क्योंकि वह कुछ गलत ना करने वालों में से हैं. चीन के एक प्रोफेसर का उनके बारे में कहना है, "सी को इसलिए चुना गया क्योंकि वह बहुत संभल कर रहते हैं. वह उन लोगों में से हैं जो पीछे की कतारों में हाथ बांध कर बैठते हैं. वह कोई गलती नहीं करते. "
सी जिनपिंग इससे पहले 1985 में अमेरिका आए थे. तब वह आयोवा में रहे थे. इस बार भी वह अपनी पिछली यात्रा की यादें ताजा करने के लिए आयोवा पहुंच रहे हैं. वहां वह खेती किसानी करने वाले एक छोटे से समुदाय के लोगों से मिलेंगे और अमेरिका में खेती बाड़ी और पशु पालन के बारे में जानकारी हासिल करेंगे. मस्कटीन की एक गैर सरकारी संस्था स्टैनले फाउंडेशन में विदेश नीति मामलों के जानकार डेविड शोर का इस बारे में कहना है, "इससे संकेत जाता है कि यह नया नेता अमेरिका के लिए कोई अजनबी नहीं है. वह अमेरिका को जानता है और उन्हें पता है कि सीधे अमेरिका के दिल तक कैसे पहुंचा जा सकता है."
आयोवा के बाद जिनपिंग कैलिफोर्निया के लिए रवाना होंगे. वॉशिंगटन दौरे के दौरान वह अमेरिकी उप राष्ट्रपति जो बाइडेन से भी मुलाकात करेंगे.
रिपोर्ट: एएफपी, एपी/ईशा भाटिया
संपादन: ए जमाल