कारों की रफ्तार बढ़ा कर अर्थव्यवस्था की गाड़ी चलाएगा ब्रिटेन
१ अक्टूबर २०११ब्रिटेन की सरकार चाहती है कि अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए देश के ड्राइवर और तेज गाड़ी चलाएं. ब्रिटेन के मोटरवे यानी हाईवे पर रफ्तार की अधिकतम सीमा अब तक 70 मील (112 किलोमीटर) प्रति घंटा थी. अब इसे बढ़ा कर 80 मील (128 किलोमीटर) प्रति घंटा करने का फैसला किया गया है. देश के परिवहन मंत्री फिलिप हैमंड का कहना है, "अब वक्त आ गया है कि ब्रिटेन तेज रफ्तार वाली अर्थव्यवस्थाओं के बीच लौट जाए और मोटरवे पर 50 साल पुरानी गति सीमा पर फिर विचार किया जाए. गाड़ियों और सुरक्षा की तकनीक में बड़े सुधारों के कारण यह गति सीमा अब पुरानी और बेकार हो चुकी है."
कितना फायदा होगा
ब्रिटिश परिवहन मंत्री मानते हैं कि मोटरवे पर गाड़ियों की गतिसीमा बढ़ाने का फायदा देश की अर्थव्यवस्था का मिलेगा, "मोटरवे पर गति सीमा को 80 मील प्रति घंटा तक बढ़ाने से यात्रा में कम समय लगेगा और इस तरह से करोड़ों पाउंड का फायदा होगा. इसी साल हम ब्रिटेन की गति को तेज करने के बारे में विचार करेंगे."
हैमंड का यह भी कहना है कि इससे सड़क सुरक्षा के स्तर में कोई खास फर्क नहीं आएगा. परिवहन मंत्री मानते हैं कि इस नियम को लोग अक्सर तोड़ते रहते हैं. उन्होंने कहा, "अगर 50 फीसदी से ज्यादा लोग रोजाना इस नियम को तोड़ रहे हों तो इस नियम पर फिर से विचार जरूर किया जाना चाहिए."
कंजरवेटिव पार्टी की सरकार ने हाल ही में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए खर्चों में कटौती का एलान किया. ब्रिटिश राजकुमार की शाही शादी से भी आर्थिक पंडितों को ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में सुधार होने की उम्मीद थी पर धरातल पर बहुत ज्यादा फायदा होता दिख नहीं रहा. ऐसे में सरकार कई और तरीकों को आजमाना चाहती है.
सरकार के पास अपनी चाहे जो भी दलीलें हों, पर गतिसीमा बढ़ाना इतना आसान भी नहीं है. पर्यावरणवादियों ने इसकी भनक लगते ही इसके विरोध में झंडा बुलंद करना शुरू कर दिया है. उनका मानना है कि इससे पेट्रोलियम की खपत और कार्बन का उत्सर्जन बढ़ जाएगा. कैम्पेन फॉर बेटर ट्रांसपोर्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टीफन जोसेफ का कहना है, "मोटरवे पर गति की सीमा को 80 मील प्रति घंटा तक बढ़ाने से अर्थव्यवस्था को कोई मदद नहीं मिलेगी बल्कि ड्राइवरों के लिए खर्च बढ़ जाएगा. इसके साथ ही यह प्रदूषण और सड़क दुर्घटनाओं में भी इजाफा करेगा."
इतिहास की झलक
ब्रिटेन दुनिया का पहला ऐसा देश है जिसने सड़कों पर गति की सीमा का दायरा तय किया. 1861 में पहली बार जब गति सीमा का दायरा तय किया गया तो इसकी अधिकतम सीमा 10 मील प्रति घंटा रखी गई थी. 2005 से 2010 के बीच हाइवे सबसे अधिक गति सीमा तय करने वाला देश आबू धाबी था जिसने इसकी आधिकतम सीमा 160 किलोमीटर प्रति घंटे रखी थी. हालांकि 2011 में इसे घटा कर 140 किलोमीटर प्रति घंटा कर दिया गया. हालांकि दुनिया में कुछ ऐसी सड़कें और देश ऐसे भी हैं जिन पर गति की कोई सीमा नहीं. बिना सीमा वाली सड़कों के बीच सबसे ज्यादा मशहूर है जर्मनी का ऑटोबान. ऑटोबान की सपाट, चिकनी और बेहद कम भीड़ वाली जमीन पर आप मनचाही तेज रफ्तार से गाड़ी चला सकते हैं, कोई आपको नहीं टोकेगा. सच पूछें तो यहां मुसीबत कम रफ्तार से गाड़ी चलाने वालों को होती है क्योंकि हवा से बातें करती तेज रफ्तार गाड़ी बगल से जब निकलती है तो गाड़ी के साथ खुद को भी संभालना कठिन होता है.
भारत की हालत
वैसे दुनिया के नक्शे पर भारत भी है जहां कई सड़कों पर गाड़ियों की कोई अधिकतम सीमा नहीं है पर यहां के हाइवे के आस पास बसी बस्तियों की वजह से इन पर तेज रफ्तार से चलना बेहद खतरनाक होता है. हाल के वर्षों में सरकार की कोशिशों से हाइवे के आसपास के हिस्सों को खाली कराया गया है और सड़कों की गुणवत्ता भी सुधरी है पर औसत रफ्तार अभी भी काफी कम है. यहां सड़कों पर गति की सीमा राज्य सरकारें तय करती हैं. मुंबई पुणे-एक्सप्रेस वे, दिल्ली-आगरा हाइवे, अहमदाबाद-वडोदरा एक्सप्रेसवे, जैसी कुछ खास सड़कों पर रफ्तार की सीमा अधिक रखी गई है. इसी तरह बैंगलोर का एयरपोर्ट एक्सप्रेस वे भी 130 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम रफ्तार के हिसाब से डिजाइन किया गया है. भारत में आमतौर पर कारों के लिए अधिकतम गति सीमा हाइवे पर नहीं है और 110-120 की रफ्तार से फर्राटा भरती कारें नजर आ जाती हैं. अधिकतम सीमा का दायरा मुख्य रूप से ट्रक और इसी तरह की बड़ी गाड़ियों के लिए है.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः वी कुमार