'कुछ था जिसने जापान को जीत दिलाई'
१८ जुलाई २०११कभी हार नहीं मानने वाले जापानी टीम ने अपनी पूरी ताकत इस मैच में झोंकी और अमेरिका को हरा कर उसे चकित कर दिया. आखिरी मिनटों में हमेशा अमेरिकी बढ़त को बराबरी पर ला दिया.
अमेरिकी गोल कीपर होप सोलो का कहना है, "हम एक बहुत शानदार टीम से हारे हैं, सचमुच. मुझे सच में पूरा विश्वास है कि इस टीम के लिए कुछ बड़ा काम कर रहा था."
पूरे टूर्नामेंट में जापान की टीम ने अद्भुत ऊर्जा के साथ खेला और बड़े धुरंधरों को घर का रास्ता दिखाया जिसमें जर्मनी और स्वीडन की टीम भी शामिल है.
81 वें मिनट में आया मियामा और 117 वें मिनट में होमारा सावा ने स्कोर बराबरी पर लाकर अमेरिका की जीत का रास्ता बंद कर दिया. सोलो कहती हैं, "भले ही मुझे जीत की कितनी भी इच्छा थी लेकिन अगर मुझे यह किसी और को देना पड़ती तो मैं निश्चित ही जापान को देती. मुझे उनके लिए खुशी है वह इस जीत के काबिल थे."
शानदार आत्मविश्वास
जर्मनी में हुए वर्ल्ड कप में छह में चार मैच जीतने से पहले जापान सिर्फ एक ही बार ग्रुप मैचों से आगे बढ़ पाया था और वह भी 1995 में जब क्वार्टर फाइनल में अमेरिका ने उन्हें हरा दिया था. 1991 से 2007 के बीच हुए वर्ल्ड कप मैचों में 16 में सिर्फ तीन मैच ही जापान जीत सका है.
अमेरिकी कोच पिया सुंडहागे ने कहा कि उनकी टीम अच्छा खेली लेकिन खोए हुए मौकों ने उनसे खिताब छीन लिया. "पेनल्टी में हारना बहुत दुखदाई है. हमने कई मौके बनाए लेकिन उन्हें भुना नहीं सके. यह फाइनल है. यहां जीत और हार में अंतर बहुत ही कम है."
स्ट्राइकर एबी वॉम्बैख ने कहा कि जापानी महिलाओं को रोका ही नहीं जा सकता था. "यह दिल तोड़ने वाला तो है ही. जापान अच्छा खेला और उम्मीद नहीं छोड़ी. हमने इतनी मेहनत की. हमें थोड़े दिन दुख तो होगा ही. मुझे अपनी टीम पर गर्व है. जापानी टीम को बधाई. मुझे लगता है कि उनके देश को उन पर बहुत गर्व होगा. जापान आगे बढ़ता रहा और अब वह वर्ल्ड चैंपियन है."
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः एन रंजन