जापान बना विश्व चैंपियन
१८ जुलाई २०११जापान पहला ऐसा एशियाई देश है जिसने महिला वर्ल्ड कप जीता है. पेनल्टी किक में 3-1 से अमेरिका को चौंकाते हुए जापान ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की. एक्स्ट्रा टाइम में 2-2 की बराबरी के बाद पेनल्टी से फैसला हुआ.
सुनामी के कहर से जूझते जापान के लिए यह निश्चित ही बहुत शानदार खबर है. उनकी महिलाओं ने मैच में काफी देर तक पीछे रहने के बावजूद अद्भुत तरीके से फीफा का खिताब अपने नाम किया.
जीत के बाद टीम ने पूरे मैदान पर एक बैनर के साथ चक्कर लगाया जिस पर लिखा था दुनिया भर में हमारे दोस्तों के लिए- हमारे सहयोग के लिए आपको बहुत धन्यवाद. सिर्फ जर्मनी में ही 16 हजार दर्शकों ने इस मैच का टीवी पर आनंद लिया.
धीरज का कमाल
रविवार को फ्रैंकफर्ट में 90 मिनट के दौरान जापान पीछे रह गया और फिर एक्स्ट्रा टाइम में भी लेकिन जापान ने दोनों मौकों पर अपना धीरज नहीं खोया और स्कोर को बराबर कर दिया. अमेरिका तीसरी बार वर्ल्ड कप के खिताब का पीछा कर रही थी, उन्होंने फर्स्ट हाफ में कई मौके गवाएं. फिर पेनल्टी में अमेरिका ने अपना विश्वास खो दिया. गोल रोकने से मैच खोने की शुरुआत हुई थी कि ताबूत में एक कील कार्ली लॉयड ने ठोंकी, उनकी गेंद गोलपोस्ट को ऊपर से देखती हुई बाहर चली गई. अमेरिका के चार में से तीन गोल बेकार गए और जापान ने चार में से तीन दागे. अमेरिका की शैनन बॉक्स और टोबिन हीथ के गोल रोक दिए गए. सिर्फ एबी वॉम्बैख ही गोल कर पाईं.
जापान की कप्तान होमारा सावा ने कहा, "हम इस खिताब को जीत कर इतने खुश हैं, इतने खुश कि हम इस टूर्नामेंट में इतनी देर टिके रहे." सावा ने जापान के लिए दूसरा गोल किया और स्कोर को 2-2 से बराबर कर दिया. उन्हें गोल्डन बॉल और गोल्डन बूट दोनों ही पुरस्कार मिले. सावा ने आगे कहा, हम अब नंबर वन हैं. "हममें आखिर तक काफी आत्मविश्वास था और हम सबको खुद में पूरा यकीन था इसलिए हमने यह खिताब जीता है." जापान ने ही स्वीडन और जर्मनी को खिताब की दौड़ से बाहर किया था.
कड़वी हार
26 मैचों में यह पहली बार था कि दो बार विश्व चैंपियन रही अमेरिका की महिला टीम जापान से हारी. अमेरिका ने 1991 और 1999 में वर्ल्ड कप खिताब जीता था. जापान के खिलाफ 26 में से 22 मैचों में अमेरिका की जीत हुई और तीन मैच ड्रॉ हुए थे. 2003 और 2007 में वर्ल्ड चैंपियन बनी जर्मनी की महिला टीम के बाद अमेरिका ही इस बार के वर्ल्ड कप की फेवरेट टीम थी.
फ्रैंकफर्ट के 48 हजार से ज्यादा दर्शकों वाले स्टेडियम में कई अमेरिकी थे. कई सैन्य अधिकारी भी जो जर्मनी में हैं. टीम को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने भी शुभकामनाएं भेजी थी. मैच का आनंद लेने जर्मनी के राष्ट्रपति क्रिस्टियान वुल्फ और उनकी पत्नी के अलावा जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल, ट्रेनर सिल्विया नाइड सहित फीफा अध्यक्ष जैप ब्लैटर मौजूद थे.
अमेरिकी डिफेंडर एलेक्स क्रीगर ने कहा, "यह बहुत ही कड़वी हार है. हमने अच्छा खेला लेकिन यह हार बहुत दुखद है. जापान भी अच्छा खेला लेकिन हम नहीं जीत सके. हमने मौके नहीं भुनाए और डिफेंस में गलतियां की."
क्रीगर ने जर्मन टीवी एआरडी से बातचीत में कहा कि वह जापान के पहले गोल के लिए कोई सफाई नहीं दे सकती. "यह बहुत ही निराशाजनक था कि हमने उन्हें एक गोल गिफ्ट में दे दिया. मैंने नहीं देखा कि सच में हुआ क्या था. लेकिन मैं सोचती हूं कि हम अच्छा खेले. हमें खुशी है कि हम सिल्वर मेडल जीते."
अमेरिका ने खेल की शुरुआत बहुत ही मजबूत की. 69वें मिनट में टीम के लिए पहला स्टाइलिस गोल अलेक्स मॉर्गन ने किया. लेकिन 81वें मिनट में जापान की आया मियामा ने बुरे अमेरिकी डिफेंस के बाद गोल किया और स्कोर बराबर किया.
104वें मिनट में वॉम्बैख के गोल ने अमेरिकी जीत पर मानो मुहर लगा दी कि जापान खेल में लौटा और 117वें मिनट में सावा ने गोल दागा. 120 वें मिनट में जापान की टीम 10 की ही रह गई क्योंकि आजुसा इवाशिमित्सु को रेड कार्ड के कारण बाहर निकाल दिया गया.कुल मिला कर किस्मत और धीरज ने जापान को महिला फुटबॉल वर्ल्ड का खिताब दिलाया.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः एन रंजन