कैंसर से जंग लड़ती भारत की महिलाएं
२ मार्च २०११जयपुर की कच्चा टीला नंबर सात की कच्ची बस्ती के अपने टूटे से मकान में बासठवर्षीया प्रभाती देवी चूल्हे में आग फूकनें की कोशिश कर रही हैं. रात भर की बारिश ने लकड़ियों को गीला कर दिया है और फूकनी में बहुत दम भरने के बाद भी चूल्हा सुलग नहीं पा रहा है. प्रभाती की खासीं भी चूल्हे फूकनें की कोशिश को असफल करती जा रही है. उसे जल्दी है कि काम खत्म हो और वो शहर के बड़े हस्पताल में मनाये जा रहे कैंसर दिवस में अपनी सास को इनाम दिलवाने ले जा सके.
प्रभाती की सास पिछले आठ सालों से फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित है पर वक्त पर मिले उपचार ने उसे अब ठीक कर दिया है और यही कारण है की आज वो उन बयासी लोगो में शामिल है जिन्हें कैंसर से लड़ने में सफल रहने के लिए सम्मानित किया जा रहा है.
हर वर्ष दस लाख लोगों को कैंसर
पर सवाल यह है कि चूल्हे में आग फूकनें की कोशिश, जलती लकड़ियां, चिमनी रहित रसोई, पति की धूम्रपान की लत क्या प्रभाती को भी कैंसर और टी. बी. की बीमारियां नहीं दे देंगी? विश्व की आधी से अधिक आबादी खाना पकाने के लिए इसी तरह के प्रदूषणकारी चूल्हों का इस्तेमाल करती है और भारत में तो यह संख्या बयासी करोड़ से भी ज्यादा है.
भारत भर में हर वर्ष दस लाख लोगों को विभिन्न तरह का कैंसर होता है और इन में महिलाएं भी बड़ी संख्या में शामिल हैं. कैंसर से लड़ रही महिलायों की जंग के बारे में और जानने की जिज्ञासा मुझे प्रभाती और उस की सास के साथ कैंसर दिवस समारोह में ले आती है.
यहां मिलती है नब्बे वर्षीया सरली बानो जो डाक्टरों को उन्हें ठीक करने के लिए दुआएं दे रही हैं. वे मानती है कि तंबाकू चबाने की उनकी गलत आदत ने उनके जीवन को तबाह कर दिया था. विश्व स्वास्थ संघटन के अनुसार दुनिया भर में तंबाकू के कारण होने वाली पचास लाख मौतों में से सर्वाधिक दस लाख मौतें अकेले भारत में होती हैं.
तंबाकू की वजह से विश्व में पंद्रह लाख महिलाओं की मृत्यु हो जाती है.
सबसे ज्यादा सर्वाइकल कैंसर भारत में
समारोह में धोलपुर की विमला देवी भी मौजूद हैं जो पिछले सात साल से सर्वाइकल कैंसर से लड़ रही है. वे कहती है कि हिम्मत नहीं हारी जाये तथा समय पर इलाज लिया जाये और घर वाले साथ दे तो कोई कारण नहीं की कैंसर को हराया नहीं जा सके. समारोह स्थल पर मौजूद एसएमएस हस्पताल की महिला कैंसर विशेषज्ञ डाक्टर सुनीता जैन बताती है कि दुनिया भर में सबसे ज्यादा सर्वाइकल कैंसर भारत की महिलायों को होता है .
भारत में ब्रेस्ट कैंसर के मामले भी हर साल दो प्रतिशत की दर से बढ़ते जा रहे है जबकि पश्चिमी देशों में ये दो प्रतिशत की दर से घट रहे है. वे बताती है कि सही वक्त पर विवाह, कम बच्चे पैदा करना, स्तनपान, हार्मोन दवाओं का कम प्रयोग और धूम्रपान - तंबाकू पर पाबन्दी से भारतीय महिलाएं कैंसर से बच सकती हैं. भोजन में फल और हरी सब्जियों की मात्रा को बढ़ा कर और वसा और तेल की मात्र को घटा कर भी कैंसर होने की संभावनाओं को कम किया जा सकता है.
समारोह की आयोजिका सुमन कैंसर पीड़ितों की सेवा के लिए सन- शाइन नामक स्वयं सेवी संस्था चलाती हैं. तंबाकू और धूम्रपान की लत ने उनके पति, ससुर और दो भाइयों को उनसे छीन लिया है. वे इस बात पर द्रवित है कि आम भारतीय पुरुष अपनी कैंसर पीड़ित पत्नी के महंगे और लम्बे उपचार को लेकर आनाकानी करता है. वे बताती है कि कई पुरुष तो ऐसे मामलों में दूसरा विवाह तक करने को आमदा हो जाते हैं. अगले माह अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की तैयारियां भारत में भी चल रही है और यदि इस दिवस को कैंसर पीड़ित महिलाओं को समर्पित किया जाये तो वाकई फरवरी माह में पूरी दुनिया में मनाये गए विश्व कैंसर दिवस की सार्थकता सिद्ध हो जाएगी.
रिपोर्ट: जसविंदर सहगल
संपादन: ईशा भाटिया