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क्यों खास हैं ओबामा

२ नवम्बर २०१२

बिंदास व्यक्तित्व, जोशीला भाषण, कभी मजाक तो कभी कड़ा रुख, इन्हीं खूबियों वाले बराक ओबामा एक बार फिर अमेरिका के राष्ट्रपति बनना चाह रहे हैं. उनका सामना मिट रोमनी से है, जो व्यक्तित्व के मामले में ओबामा जैसे नहीं.

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तस्वीर: Reuters

बराक ओबामा महात्मा गांधी और मार्टिन लूथर किंग को आदर्श मानते हैं. नोबेल शांति पुरस्कार जीतते हैं, लेकिन एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को मार भी गिराते हैं. अक्सर आसमानी या सफेद कमीज और नीली टाई पहनने वाले ओबामा अमेरिका के वित्तीय सिस्टम को अंधे पूंजीवाद से बाहर निकलने की वकालत करते हैं. आलोचनाओं के बीच वह उम्मीद नहीं खोते. गुस्सा होते हैं, मौका आए तो भावुक होते हैं, हंसते हैं और सबके सामने डांस भी करने लगते हैं. 51 साल के बराक ओबामा कुछ ऐसे ही हैं.

आम इंसान

वह ऐसी शख्सियत हैं जो बताते हैं कि अमेरिका का राष्ट्रपति आकाश से उतरा जीव नहीं है. वह भी आम इंसान है, जो पत्रकारों से चुटकीला मजाक करता है, किसी को नाराज कर दिया तो बीयर पिलाकर झगड़े सुलझा लेता है. बच्चों और परिवार के साथ छुट्टी पर जाता है. किसी आयोजन में पसंदीदा संगीत बजने पर पत्नी को बांहों में भर नाचने लगता है, सबके सामने चूमता है. लेकिन जब कड़े फैसले लेने की बारी आए तो बहुतों की बहुत ज्यादा नहीं सुनता है.

चार जुलाई 1961 को पैदा हुए ओबामा के पिता कीनिया के थे. ओबामा ने होश भी न संभाला था कि 1964 में माता पिता में तलाक हो गया. साल भर बाद मां ने इंडोनेशियाई व्यक्ति से शादी कर ली. इसके बाद ओबामा मां के साथ इंडोनेशिया गए. शुरुआती स्कूल शिक्षा वहीं हुई. 1970 के दशक में वह अमेरिका लौटे और अपने नाना नानी के साथ रहने लगे. यहीं उन्होंने आगे की पढ़ाई की. पेशवर जिंदगी की शुरुआत बतौर शिक्षक की और 90 का दशक आते आते राजनीति में आ गए. 1997 में इलिनॉय राज्य के सीनेटर चुने जाने के बाद 2004 में वह अमेरिका के सीनेटर बने. जोशीले भाषणों और समय की नब्ज पकड़ने में माहिर ओबामा कांग्रेस में ऐसे चमके कि 2008 के चुनावों में डैमोक्रेट पार्टी के राष्ट्रपति उम्मीदवार बने और जीत भी गए.

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प्रचार के बीच अपनी पत्नी मिशेल ओबामा को बांहों में भरते ओबामातस्वीर: Reuters

ओबामा का कार्यकाल

नवंबर 2008 में अमेरिका के 44वें राष्ट्रपति बनने वाले बराक ओबामा देश के पहले अश्वेत राष्ट्र प्रमुख भी हैं. 'यस वी कैन' का नारा देकर व्हाइट हाउस तक पहुंचने वाले ओबामा के लिए बीते चार साल मुश्किलों से भरे रहे. इराक और अफगानिस्तान युद्ध, चीन का बढ़ता प्रभाव, अमेरिका में बेरोजगारी और आर्थिक मंदी, राष्ट्रपति भवन में उनका स्वागत इन मुश्किलों ने किया.

सत्ता संभालते ही उन्होंने इराक से अमेरिकी सेना को निकलवाया. 1997 में राजनीतिक सफर शुरू करने वाले ओबामा शुरुआत से इराक की जंग का विरोध कर रहे थे. राष्ट्रपति बनने पर उन्होंने इराक पर अपना वादा निभाया, अफगानिस्तान से सेना हटाने की तारीख तय की, लेकिन गुआंतानामो जेल को एक साल के अंदर बंद करने का वादा पूरा नहीं कर पाए.

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करजई के साथ ओबामातस्वीर: picture-alliance/dpa

अर्थव्यवस्था

2009 ओबामा और अमेरिका के लिए खासी मुश्किलें लेकर आया. शुरू के छह महीनों में अमेरिकी शेयर बाजार ने ऐतिहासिक गोते लगाए. एक के बाद एक बड़े बैंक दिवालिया होने की कगार पर आ गए. अमेरिकी वित्तीय सिस्टम करीब करीब ध्वस्त हो गया. ओबामा ने बैंकों में पूंजी झोंकने के साथ सुधारों का रास्ता भी अपनाया. स्विट्जरलैंड पर नकेल कसकर उन्होंने टैक्स चोरों पर फंदा डाला. अथाह बोनस पीट रहे बैंक के आला अधिकारियों को राष्ट्रपति ने नैतिकता के कटघरे में खड़ा कर दिया. ओबामा ने शेयर बाजार और बैंक उद्योग के लिए नए नियामक बनाए.

2010 में अपनी ही पार्टी के कई दिग्गजों और पूरे विपक्ष के खिलाफ जाकर ओबामा ने स्वास्थ्य बीमा सुधार लागू किया. बेकाबू दिखाई पड़ने वाली अमेरिकी बीमा कंपनियों को नियमों में बांध दिया. नौकरियां बाहर भेजने वाली अमेरिकी कंपनियों पर ज्यादा टैक्स लगा दिया. चीन और भारत जैसे एशियाई देशों के दौरे से लौटते हुए वे अमेरिकियों के लिए रोजगार भी लाते. हालांकि अमेरिका में बेरोजगारी अब भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है.

सामाजिक मंच पर ओबामा ने उदार नेता वाली छवि बरकरार रखी. उन्होंने समलैंगिकों के लिए अमेरिकी सेना के दरवाजे खोले. अमेरिकी सेना में पहले समलैंगिकता जाहिर करने पर पाबंदी थी, ओबामा ने इसे भी हटा दिया. होली, दीवाली, क्रिसमस या ईद, कोई त्योहार हो, ओबामा या तो उसे मनाते दिखे या शुभकामनाएं देते.

Sandy Obama Umarmung Opfer 31.10.2012
तूफान पीड़ितों को सांत्वना देते ओबामातस्वीर: Reuters

विदेश नीति

विदेश नीति के मंच पर उन्होंने नए पासे फेंके. पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश से उलट ओबामा ने कभी खुलकर चीन से टकराव मोल नहीं लिया. रूस और चीन के खिलाफ संयमित भाषा का इस्तेमाल किया. यह कूटनीति ही है कि धीरे धीरे अमेरिकी प्रशासन ने चीन के पड़ोसियों के साथ दोस्ती को नई दिशा देनी शुरू कर दी. अरब वसंत आया तो ओबामा ने लोकतंत्र की हिमायत की. अमेरिका के पुराने दोस्त और मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति होस्नी मुबारक को हटने पर मजबूर किया. लीबिया में गद्दाफी के खिलाफ नाटो मिशन को हरी झंडी दी. इस्राएल से दूरी बनाई और ईरान के खिलाफ कूटनीति को प्राथमिकता दी.

आतंकवाद के मसले पर उन्होंने सख्ती दिखाई. पाकिस्तान के शहर एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को मारने के आदेश दिए. पाकिस्तान को जानकारी दिए बिना किए गए इस ऑपरेशन का वह सीधा प्रसारण देखते रहे. दुनिया को हवा भी नहीं लगने दी, और अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन का काम तमाम हो गया. ऑपरेशन के दौरान वह मुख्य सीट पर भी नहीं थे. सेना प्रमुख के बगल में वह गंभीर मुद्रा में बैठे रहे. ओबामा के नेतृत्व में अमेरिका ने पाकिस्तान पर ड्रोन हमले शुरू किये. इस्लामाबाद की लाख नाराजगी के बावजूद यह हमले अब भी जारी है. ओबामा ने पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद में भी भारी कटौती की. नाटो के हवाई हमले में 24 पाकिस्तानी सैनिकों के मारे जाने पर उन्होंने अफसोस जताया पर माफी नहीं मांगी.

TV Duell Barak Obama und Mitt Romney in Hempstead
आमने सामने की बहस में रोमनी और ओबामातस्वीर: REUTERS

आज के ओबामा

इन्हीं परिस्थितियों से गुजरते हुए ओबामा अब नवंबर 2012 में हैं. सामने राष्ट्रपति चुनाव और प्रतिद्वंद्वी मिट रोमनी हैं. समय काफी बदल चुका है. 2008 में इंटरनेशनल स्टार जैसी शोहरत पाने वाले ओबामा अब दूसरे देशों को बहुत ज्यादा नहीं रिझाते. अमेरिका में भी उनकी लोकप्रियता में काफी कमी आई है. 47 साल की उम्र में पहली बार राष्ट्रपति बनने वाले ओबामा के बाल अब पक चुके हैं. उनके चेहरे पर पुरानी रौनक नहीं दिखाई पड़ती. आलोचक कहते हैं कि सिर्फ जोशीले और लच्छेदार भाषण देने वाले ओबामा जान गए हैं कि असल जिंदगी कितनी चुनौती भरी होती है.

रिपोर्ट: ओंकार सिंह जनौटी

संपादन: महेश झा

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