'क्रिकेट कूटनीति से विवाद खत्म नहीं होंगे'
३० मार्च २०११मुशर्रफ ने कहा कि निश्चित रूप से ये एक मौका है जिसका फायदा उठाया जाना चाहिए. पूर्व राष्ट्रपति के मुताबिक क्रिकेट कूटनीति के दो फायदे हैं, "पहला यह, कि इस मौके का इस्तेमाल दोनों देशों के रिश्ते में जमी बर्फ को पिघलाने के लिए किया जा सकता है. दूसरा यह कि दोनों नेता जब मिलेंगे तो बातचीत का वातावरण सुधारा जा सकता है क्योंकि दोनों के बीच मुलाकात उनके लिए एक दूसरे को समझने में मददगार होगी. दो देशों के रिश्ते दो इंसानों के रिश्ते पर भी बहुत कुछ निर्भर करते हैं."
लंबे समय से स्वनिर्वासन में लंदन में रह रहे परवेज मुशर्रफ ने एक भारतीय टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि गिलानी को न्योता एक सही कदम है और क्रिकेट कूटनीति दोनों देशों के बीच बेहतर रिश्ते बनाने में कारगर हो सकती है. इसके साथ ही चेतावनी भरे लहजे में मुशर्रफ ने कहा, "अगर हम सोचते हैं कि इससे दोनों देशों के बीच जारी विवाद खत्म हो जाएंगे तो ये इतना आसान नहीं है. क्रिकेट कूटनीति हल ढूंढने में मदद कर सकती है लेकिन सिर्फ इससे कोई हल निकल आएगा. यह नहीं हो सकता. क्रिकेट कूटनीति का मतलब नहीं है कि आपने एक मैच साथ बैठ कर देख लिया तो सारे विवाद खत्म हो जाएंगे."
मुशर्रफ का कहना है कि क्रिकेट कूटनीति केवल दोनों नेताओं की आपसी समझ को बढ़ाने में मदद करती है. उनके मुताबिक जब वे मैच देखने भारत आए थे तब भी यही हुआ था. मुशर्रफ ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के न्योते का मकसद दोस्ती बढ़ाना है.
पाकिस्तान के बारे में परवेज मुशर्रफ ने कहा कि यह गलत सोच है कि आईएसआई और सेना सरकार चला रही है, "सरकार उस शख्स के हाथों में होती है जो कैबिनेट का नेतृत्व करता है क्योंकि सारे फैसले कैबिनेट ही करती है. आईएसआई के डीजी या सेना प्रमुख कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं होते."
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः एमजी