क्लबों का वर्ल्ड कप बार्सिलोना के नाम
१८ दिसम्बर २०११जापानी शहर योकोहामा में लियोनल मेसी के दो गोलों की बदौलत बार्सिलोना ने खेल को एकतरफा बना दिया. पहले हाफ में ही कमेंटेटर यह कहने पर मजबूर हो गए कि, यह मैच फुटबॉल के इतिहास में गेंद को अपने पास रखते हुए आक्रमक खेलने की कला के सर्वश्रेष्ठ उदाहरणों में से एक है.
यूरोपीय चैंपियन क्लब और दक्षिण अमेरिकी चैंपियन क्लब के बीच के इस मैच को मेसी और ब्राजील के 19 साल के नेयमार का मुकाबला भी माना जा रहा था. लेकिन मेसी के जादू ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उन्हें इस वक्त फुटबॉल का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी क्यों कहा जाता है.
खावी, फाब्रेगास और मेसी की तिकड़ी ने पहले हाफ में सांतोस को नचा कर रख दिया. हालांकि मेसी मैजिक के बावजूद नेयमार ने दर्शकों का ध्यान जरूर खींचा. नेयमार ने दो बार गोल करने की कोशिश की लेकिन बार्सिलोना के गोलकीपर विक्टर वालडस की चपलता ने गेंद नेट पर नहीं जाने दी.
नेयमार का दुर्भाग्य रहा कि उनकी पूरी टीम बार्सिलोना से गेंद छीन ही नहीं पाई. 45 मिनट के खेल के दौरान ही ब्राजील का क्लब तीन गोल खा चुका था.
दूसरे हाफ में बार्सिलोना ने आराम से खेलना पसंद किया. मेसी ने एक गोल और दागा. इसके बाद बार्सिलोना के खिलाड़ी गेंद को आपस में इधर उधर करते रहे. फाइनल की फाइनल सीटी बजते ही बार्सिलोना के हाथ में क्लब वर्ल्ड कप आ गया.
जीत के साथ ही क्लब ने एक रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया. 2008 में पेप गुआर्डिओला के कोच बनने के बाद बार्सिलोना ने यह 13वां खिताब जीता है. टीम 2008 से अब तक 16 फाइनल खेल चुकी है. हार सिर्फ तीन फाइनलों में मिली.
फुटबॉल की वेबसाइट्स और कई अखबारों के खेल पन्ने बार्सिलोना की जीत से पट चुके हैं. स्पेन के अखबार एस और मर्का ने टीम की तारीफ करते हुए लिखा है, ''किंग ऑफ फुटबॉल. आधुनिक फुटबॉल की बेहतरीन टीम.''
रिपोर्ट: डीपीए, एएफपी/ओ सिंह
संपादन: एन रंजन