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खतरे में पाकिस्तान की 5 लाख गर्भवती महिलाएं

२ सितम्बर २०१०

बाढ़ से जूझ रहे पाकिस्तान में गर्भवती महिलाओं और बच्चों की जिंदगी खतरे में है. राहत के काम में जुटी संयुक्त राष्ट्र और दूसरी राहत एजेंसियों ने इस खतरे का अंदेशा जताया है. डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हैं.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

पिछले एक महीने में बाढ़ 1600 लोगों की जानें ले चुकी है. पर अब उन महिलाओं की जान पर बन आई है जो अगले कुछ दिनों में बच्चों को जन्म देने वाली हैं. बाढ़ प्रभावित इलाके में एक लाख से ज्यादा महिलाएं ऐसी हैं जो अगले महीने बच्चे को जन्म देंगी. इतना ही नहीं अगले छह महीनों के भीतर इन इलाकों में करीब 5 लाख बच्चे पैदा होंगे. बाढ़ से यहां का बुनियादी ढांचा तहस नहस हो चुका है और ऐसे में ना तो इनके लिए पर्याप्त दवाइयां है ना ही पोषक भोजन.

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राहत शिविर में खेलते बच्चेतस्वीर: picture alliance/dpa

पतले से पर्दे के घेरे में बच्चों का जन्म हो रहा है जहां से कुछ ही कदमों की दूरी पर मलबे, कूड़े का ढेर और ठहरा हुआ गंदा पानी है ऐसे में बच्चों और उनकी मांओं की ज़िंदगी खतरे में घिरी हुई है. जन्म के शुरूआती कुछ घंटों में बच्चों और उनकी मांओं को बेहतर देखरेख की जरूरत होती है जिसे दे पाना फिलहाल नामुमकिन है. बच्चों की देखभाल करने में जुटी एक राहत एजेंसी की निदेशक सोनिया कुश बताती हैं कि लोगों की सिर पर न छत है, न आसपास कोई एकांत जगह. लोग भीड़ और बीमारियों के वायरस में घिर हुए हैं और आसानी से बीमारी के शिकार हो रहे हैं.

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नवजात बच्चों पर खतरातस्वीर: AP

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या फंड इन लोगों की देखभाल के लिए कोशिश कर रहा है. अब तक 5000 से ज्यादा बच्चों का सुरक्षित जन्म कराया गया है. संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर 36 मोबाइल और स्थायी क्लिनिक बनाए हैं जो प्रसव में मदद कर रही हैं. आने वाले दिनों में जन्म लेने वाले बच्चों की तादाद और ज्यादा बढ़ने वाली है इसलिए राहत एजेंसियां चिंता में हैं.

राहत एजेंसियों को काम करने के लिए प्रशिक्षित लोग नहीं मिल रहे इसके अलावा पैसे के भी कमी है. स्वास्थ्य सेवाओँ के लिए जरूरी छह करोड़ डॉलर में से अभी 20 फीसदी पैसा ही मिल पाया है.

इस बीच संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि उसे लोगों तक राहत पहुंचाने के लिए बड़ी संख्या में हेलीकॉप्टरों की जरूरत है. आठ लाख से ज्यादा लोग सड़कों पर रात बिता रहे हैं उनके पास न तो रहने को छत है न खाने को भोजन. कभी एक वक्त का खाना मिलता है तो कभी वो भी नहीं. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक करीब छह लाख स्क्वेयर किलोमीटर का यानी इंग्लैड से बड़ा इलाका बाढ़ के पानी में डूबा हुआ है.

बाढ़ प्रभावितों में 24 लाख बच्चे ऐसे हैं जिनकी उम्र 5 साल से कम है और उन्हें दोनों वक्त खाना नहीं मिल पा रहा. इसके अलावा 35 लाख बच्चे गंदे पानी से होने वाली बीमारियों के खतरे से जूझ रहे हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह

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