खिलाड़ियों के बाद अब नजरें क्रिकेट अधिकारियों पर
४ नवम्बर २०११लाहौर की एक निचली अदालत ने शुक्रवार को प्रशासन को मैच फिक्सिंग के दोषी खिलाड़ियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया. अदालत ने कहा कि ब्रिटिश अदालत से दोषी करार दिए गए पूर्व कप्तान सलमान बट और तेज गेंदबाज मोहम्मद आमिर और मोहम्मद आसिफ के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो. इससे पहले वकील मुहम्मद जुबैर बलकान ने एक पुलिस स्टेशन में दोषी क्रिकेटरों के खिलाफ मामला दर्ज कराने की कोशिश की. पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने से इनकार कर दिया. इसके बाद बलकान ने अदालत का दरवाजा खटखटाया.
ब्रिटेन की अदालत बट, आमिर और आसिफ को स्पॉट फिक्सिंग का दोषी करार दे चुकी है. बट को 30 महीने की, आसिफ को एक साल की और आमिर को छह महीने जेल की सजा सुनाई गई है. तीनों खिलाड़ियों ने 2010 में गर्मियों में इंग्लैंड दौरे के दौरान लॉ़र्ड्स टेस्ट में स्पॉट फिक्सिंग की. खिलाड़ी सटोरिये मजहर मजीद के संपर्क में आए. मजीद ने नो बॉल फेंकने के लिए आमिर को 2,500 पाउंड, बट को 10,000 और आसिफ को 65,000 पाउंड दिए. सट्टे के लिए रकम न्यूज ऑफ द वर्ल्ड अखबार के एक गुप्त रिपोर्टर ने दी. अखबार ने ही स्टिंग ऑपरेशन कर क्रिकेट जगत को चौंका दिया.
पुराना है फिक्सिंग का खेल
सन 2000 में हैंसी क्रोनिए, मोहम्मद अजहरुद्दीन और सलीम मलिक का नाम मैच फिक्सिंग में सामने आया. बाद में अजय जडेजा और निखिल चोपड़ा जैसे खिलाड़ियों पर फिक्सिंग के छींटे पड़े. इसके बाद ऐसे आरोप अकसर पाकिस्तान के खिलाड़ियों पर लगते रहे. हालांकि कभी कोई साफ सबूत नहीं मिला लेकिन आरोप लगते ही रहे. कभी कमरान अकमल का नाम सामने आया तो कभी मोहम्मद आसिफ का.
पाकिस्तान के कुछ खिलाड़ियों पर लंबे समय से किया जा रहा शक आखिरकार सच साबित हो ही गया. गुटबाजी के संकट को टालने की कोशिश में सलमान बट को टेस्ट टीम का कप्तान बनाया गया और वही टीम की लुटिया डुबो ले गए. सबसे बुरे फंसे 19 साल के प्रतिभाशाली गेंदबाज मोहम्मद आमिर. फिक्सिंग कांड से पहले आमिर को दुनिया का सबसे प्रतिभाशाली गेंदबाज कहा जाने लगा था. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखते ही विकेटों की झड़ी लगा देने वाले आमिर अपना गुनाह कबूल कर चुके हैं. भविष्य को लेकर अब वह आशंकित हैं.
क्रिकेट के साफ होने की उम्मीद
स्पॉट फिक्सिंग कांड पर अन्य देशों के खिलाड़ियों और जानकारों का रुख कड़ा है. भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी कहते हैं, "अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हुए आप सबसे खराब काम यही कर सकते हैं."
वहीं कमेंट्रेटर हर्षा भोगले कहते हैं, "मुझे डर है कि यह कहीं निराशवादी दिशा में न ले जाए. ऐसी भावना न पनपे कि खेल या उसका यह लम्हा फिक्स है. बट एंड कंपनी के लिए यह बुरा दिन हो सकता है कि लेकिन क्रिकेट के लिए नहीं है. क्रिकेटर अब देख सकते हैं कि क्या हो सकता है."
क्रिकेट पर लिखने वाले प्रतिष्ठित लेखक पीटर रोएबुक कहते हैं, "साउथवार्क क्राउन कोर्ट की कार्रवाई और उसके फैसले क्रिकेट की सफाई में मदद करेंगे. भ्रष्टचार फैलाने वाले निलंबन की भले ही परवाह न करते हों लेकिन सलाखों के पीछे लंबा वक्त गुजारने उन्हें भी नापसंद होगा."
वहीं पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटरों ने भी खेल में सफाई की मांग की है. कई पूर्व खिलाड़ियों ने मांग की है कि खिलाड़ियों को घरेलू स्तर पर ही ठीक ठाक पैसा दिया जाए, ताकि वह एक अच्छा जीवन गुजार सकें. अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून लिखता है, "चोरों और ठगों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं होनी चाहिए. यह लोग मैदान से नहीं बल्कि जेल से ताल्लुक रखते हैं. अब यह देखना बाकी है कि क्या हमारे क्रिकेट अधिकारी वर्ग ने इस मामले से कोई सबक सीखा है या नहीं."
तीनों खिलाड़ियों पर आईसीसी पहले ही पांच साल का प्रतिबंध लगा चुकी है. आईसीसी के प्रतिबंध के खिलाफ फिक्सरों की तिकड़ी ने स्विट्जरलैंड में खेल मामलों की एक अदालत में अपील कर रखी है.
रिपोर्ट: पीटीआई, एएफपी/ओ सिंह
संपादन: ए कुमार