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गांरटी के बदले गद्दी छोड़ने को तैयार गद्दाफी: रिपोर्ट

५ जुलाई २०११

लीबिया के शासक कर्नल मुअम्मर गद्दाफी सुरक्षा की गांरटी के बदले सत्ता छोड़ने को तैयार हो गए हैं. शीर्ष रूसी अधिकारियों के हवाले से रूस के एक अखबार ने यह दावा किया है. विद्रोही गद्दाफी से बातचीत को तैयार हुए.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

पश्चिमी देशों के नेताओं से मुलाकात के बाद लीबियाई विद्रोहियों के रुख में अभूतपूर्व बदलाव आया है. विद्रोही गद्दाफी के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हो गए हैं. अब तक विद्रोही कहते आए थे कि जब तक गद्दाफी सत्ता से नहीं हटेंगे, उनसे बातचीत नहीं की जाएगी.

इस बीच रुस के शीर्ष अधिकारी का हवाला देते हुए रुसी अखबार कोमरसेंट ने एक रिपोर्ट छापी है. रिपोर्ट के मुताबिक गद्दाफी लीबिया की गद्दी छोड़ने को तैयार हैं, बशर्ते उन्हें सुरक्षा की गारंटी दी जाए. अखबार ने कहा, "कर्नल ऐसे संकेत दे रहे हैं कि सुरक्षा की गारंटी के बदले वह सत्ता छोड़ने को तैयार हैं."

एक दिन पहले ही रूस ने लीबिया पर हवाई हमले कर रहे नाटो सेनाओं के प्रमुख आंदर्स फो रासमुसेन और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा से बातचीत की. बातचीत के बाद ही रुसी अखबार ने यह रिपोर्ट छापी है, जिसमें यह भी कहा गया है कि फ्रांस समेत अन्य देश गद्दाफी को सुरक्षा की गारंटी देने के लिए तैयार भी हो गए हैं.

गद्दाफी ने यह शर्त भी रखी है कि सत्ता से हटने के बाद उनके बेटे सैफ अल इस्लाम को चुनाव लड़ने की अनुमति दी जाए. अटकलें हैं कि विद्रोही इस मांग को नहीं मानेंगे. सोमवार से विपक्ष और गद्दाफी सरकार के बीच बातचीत चल रही है.

लीबिया में इस साल फरवरी से सरकार विरोधी प्रदर्शन होने शुरू हुए. ट्यूनीशिया और मिस्र के राजनीतिक आंदोलनों के बाद इस अफ्रीकी देश में भी 42 साल से राज कर रहे गद्दाफी के खिलाफ आवाजें उठीं. गद्दाफी के सत्ता न छोड़ने की वजह से धीरे धीरे प्रदर्शन हिंसक होते चले गए. देश में गद्दाफी समर्थक सेना और विद्रोहियों के बीच अब भी सशस्त्र संघर्ष छिड़ा हुआ है. मई से शुरु हुए नाटो के हवाई हमलों की मदद से विद्रोही धीरे धीरे राजधानी त्रिपोली की तरफ बढ़ रहे हैं.

नाटो अभियान में शामिल फ्रांस और ब्रिटेन के सामने भी अब लीबिया से जल्द बाहर निकलने की चुनौती है. सैन्य अभियान की वजह से दोनों देशों का खजाना खाली हो रहा है. एक अनुमान के मुताबिक अगर सैन्य कार्रवाई तीन हफ्ते और चली तो ब्रिटेन को आर्थिक मुश्किलें होने लगेंगी.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: महेश झा

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