गुट निरपेक्ष देशों की शिखर वार्ता
३० अगस्त २०१२ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातोल्लाह अली खमेनेई के भाषण के साथ इसका उद्घाटन हुआ. तीस देशों के प्रतिनिधियों में मिस्र के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी सहित भारत, पाकिस्तान, लेबनान, सूडान और जिम्बाब्वे के राष्ट्र प्रमुख भी शामिल हो रहे हैं. उत्तर कोरिया, वेनेजुएला और सीरिया से राष्ट्रपति नहीं बल्कि वरिष्ठ अधिकारी यहां शामिल होंगे.
बहस का मुख्य एजेंजा ईरान सहित गुट निरपेक्ष देशों पर पश्चिमी प्रतिबंधों की आलोचना करना और संयुक्त राष्ट्र के निर्णय लेने की प्रक्रिया को और लोकतांत्रिक बनाना शामिल है. माना जा रहा है कि फलीस्तीन के देश के तौर पर निर्माण, आतंकवाद, परमाणु अप्रसार और मानवाधिकार का मुद्दा भी बातचीत के मुद्दे हो सकते हैं.
भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तेहरान के लिए रवाना होने से पहले कहा कि गुटनिरपेक्ष देश चाहते हैं कि यूएन सुरक्षा परिषद से सत्ता यूएन महासभा को मिले. ग्लोबल गर्वनेंस की संरचना पुरानी हो चुकी है और वह आज के राजनीतिक और आर्थिक चुनौतियों के हिसाब से नहीं है इसलिए सुधारों की जरूरत है.
मनमोहन सिंह ईरानी नेताओं से भी इस दौरान मुलाकात करेंगे. गुटनिरपेक्ष आंदोलन की शुरुआत 1961 में उन देशों ने की थी जो खुद को शीत युद्ध में शामिल देशों से अलग मानते थे. आज इसमें 120 देश हैं. शीत युद्ध के दौरान दुनिया के ज्यादातर देश अमेरिका या सोवियत संघ के साथ बंटे हुए थे.
इसमें संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से एक तिहाई देश हैं. इससे जाहिर होता है कि क्यों संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की मून इस सम्मेलन में शामिल होने वाले हैं. वह खमेनेई और ईरानी राष्ट्रपति अहमदीनेजाद से भी मिलेंगे और परमाणु विवाद पर जल्दी कदम लेने की अपील करेंगे.
शिखर वार्ता के दौरान पर्यवेक्षक के तौर पर रूस, ऑस्ट्रेलिया और चीन के प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे. इस वार्ता में मिस्र के राष्ट्रपति मुर्सी पहली बार भाग ले रहे हैं. उनके प्रवक्ता ने बताया कि मुर्सी सिर्फ चार घंटे तेहरान में रुकेंगे.
एएम/एजेए (एएफपी)