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गुटेनबर्ग के खिलाफ 30 हजार डॉक्टरों का खुला पत्र

२८ फ़रवरी २०११

जर्मनी के 20 हजार डॉक्टरेट विद्वानों का एक खुला पत्र चांसलर दफ्तर को दिया गया है जिसमें रक्षा मंत्री गुटेनबर्ग को पद से न हटाने पर क्षोभ व्यक्त किया गया है. इस बीच पत्र पर दस्तखत करने वालों की संख्या 30 हजार हो चुकी है.

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तस्वीर: AP

अपने पत्र में इन विद्वानों ने चांसलर अंगेला मैर्केल से कहा है कि उनकी राय में चांसलर पूरी ताकत के साथ एक ऐसे मंत्री को अपने पद पर बनाए रखने की कोशिश कर रही हैं, जो सभी सबूतों के विपरीत यह दावा कर रहे हैं कि डॉक्टरेट की थीसिस के मामले में उन्होंने जान-बूझकर धोखा नहीं दिया है.

इस सिलसिले में अंगेला मैर्केल ने कहा था कि उन्होंने गुटेनबर्ग को मंत्री के रूप में नियुक्त किया है, वैज्ञानिक सहकारी के रूप में नहीं. खुला पत्र भेजने वालों का कहना है कि यह देश के सभी डॉक्टरेट वैज्ञानिकों के साथ मजाक जैसा है, जो ईमानदारी के साथ अपना योगदान देने की कोशिश करते हैं.

Deutschland Parteien CSU zu Karl-Theodor zu Guttenberg
तस्वीर: dapd

जर्मनी की शिक्षा मंत्री अनेटे शावान ने कहा है कि वह वैज्ञानिकों के क्षोभ को समझती हैं. उन्होंने कहा कि 31 साल पहले खुद डॉक्टरेट करने के नाते और अनेक डॉक्टरेट सहकारियों के साथ काम के अनुभव की वजह से उन्हें खुद भी इस मामले पर शर्म है. शावान की राय में गुटेनबर्ग को भी ऐसी ही शर्म का अहसास हो रहा है. लेकिन वह एक प्रतिभाशाली राजनीतिज्ञ हैं. और उन्हें जिंदगी में एक दूसरा मौका मिलना चाहिए.

गुटेनबर्ग की पार्टी बवेरिया की सीएसयू के अध्यक्ष व मुख्यमंत्री होर्स्ट जेहोफर ने फिर एक बार गुटेनबर्ग की पुरजोर वकालत की है. साथ ही उन्होंने संसद के अध्यक्ष नोर्बर्ट लामर्ट को आड़े हाथों लिया, जो कई बार गुटेनबर्ग की आलोचना कर चुके हैं. लेकिन इस बीच सीएसयू के राजनीतिज्ञ व प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गुएंटर बेकश्टाइन ने कहा है कि गुटेनबर्ग के नकल प्रकरण से पार्टी को नुकसान पहुंच रहा है.

इसी प्रकार सैक्सनी आनहाल्ट प्रदेश के मुख्यमंत्री वोल्फगांग बोएमर ने संदेह व्यक्त किया है कि कार्ल थिओडोर त्सू गुटेनबर्ग इस प्रकरण से उबर पाएंगे. किसी हद तक उनका मजाक भी उड़ाया जाने लगा है. श्पीगेल ऑनलाईन वेबसाइट में उन्हें डॉक्टर कंट्रोल सी, यानी नकलची बताया गया है. इसी प्रकार उनका मजाक उड़ाते हुए एक पॉप सॉन्ग भी बनाया गया है, जो खासकर युवाओं के बीच अत्यंत लोकप्रिय हो चुका है.

जर्मन सरकार के प्रवक्ता स्तेफेन जाइबर्ट ने कहा है कि चांसलर मैर्केल वैज्ञानिकों के क्षोभ को समझती हैं. लेकिन वह उनके इस निष्कर्ष से सहमत नहीं हैं कि विज्ञान जगत का अनादर हुआ है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: एस गौड़

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