चांसलर मैर्केल ने किया ग्रीस बेलआउट का बचाव
२७ फ़रवरी २०१२जर्मनी में ग्रीक के बेलआउट को लेकर गंभीर मतभेद हैं. सत्ताधारी मोर्चा तक एकजुट नहीं है. चांसलर अंगेला मैर्केल की पार्टी के कई महत्वपूर्ण सांसद बेल आउट पैकेज के प्रभाव से आश्वस्त नहीं हैं और ग्रीस को नियंत्रित रूप से दिवालिया होने देने की मांग करते रहे हैं. इसके विपरीत चांसलर मैर्केल ने कहा है कि उनकी सरकार जर्मनी बेल आउट पैकेज में 11 अरब यूरो का अपना पहला योगदान समय से पहले ही दे देगी.
चांसलर ने स्वीकार किया है कि ग्रीस को और वित्तीय मदद देना जोखिम से खाली नहीं है. उन्होंने माना, कोई सौ फीसदी सफलता की गारंटी नहीं दे सकता. उन्होंने अपनी कतारों में हो रहे विरोध को ठुकराते हुए कहा, "कोई अनुमान नहीं लगा सकता कि अनियंत्रित दिवालियापन के हम सबके लिए और जर्मनी के लोगों के लिए क्या नतीजे होंगे."
विपक्षी एसपीडी के पेयर श्टाइनब्रुक ने ग्रीस को स्थिर बनाने में जर्मन सरकार पर लक्ष्यहीनता का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास के जरिए ही ग्रीस के खजाने में फिर से अधिक पैसा आएगा और उसके कर्ज को कम करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि सरकार दूसरे बेल आउट पैकेज में भी पहले पैकेज की खामियों को दूर करने में विफल रही है.
सत्ताधारी मोर्चे में शामिल एफडीपी के नेता और पूर्व वाणिज्य मंत्री राइनर ब्रुइडर्ले ने ग्रीस को कर्ज की बदौलत चलने वाला कल्याणकारी राज्य बताते हुए उससे संयम बरतने की अपील की. उन्होंने कहा कि जो बांटना है, पहले उसे कमाना होगा.
वामपंथी डी लिंके के नेता ग्रेगोर गीजी ने ब्रुइडर्ले के बयान को हेकड़ी बताते हुए बेल आउट पैकेज की आलोचना की. उन्होंने कहा इस धन से रेत का महल बनाया जा रहा है, जिसका लाभ सिर्फ बैंकों और हेज फंड को मिलेगा, ग्रीस की जनता को नहीं.
ग्रीस के लिए 130 अरब यूरो के पैकेज का सबसे बड़ा हिस्सा ग्रीस को दिवालिया होने से बचाने के लिए इस्तेमाल होगा. ग्रीस की भुगतान क्षमता बनाए रखने के लिए 94.5 अरब यूरो का इस्तेमाल आकस्मिक कर्ज के रूप में किया जाएगा. जबकि बाकी 35.5 अरब यूरो से ग्रीस निजी बैंकों के साथ कर्ज का नई शर्तें तय कर पाएगा. इसमें से अधिकतम 30 अरब यूरो से वह बांड के एक हिस्से का भुगतान कर सकेगा. बाकी 5.5 अरब यूरो ब्याज के भुगतान के लिए जरूरी है जो इस बीच ग्रीस पर बकाया है.
लेकिन इस धन का इस्तेमाल कर पाने के लिए ग्रीस को कई बचत कार्यक्रमों को लागू करना होगा. यूरोपीय संघ, केंद्रीय बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा संघ के दबाव में ग्रीस को बचत के इन कदमों को तय करना पड़ा है. जिसमें सरकारी कर्मचारियों की छंटनी के अलावा वेतन और पेंशन में कटौती भी शामिल है.
रिपोर्ट: एएफपी, डीपीए, रॉयटर्स/महेश झा
संपादन: ए जमाल