बड़े डील की कोशिश में लगा है जी 20
२६ फ़रवरी २०१२जर्मनी ने कहा है कि वह मार्च में किसी समय यूरोपीय बेलआउट पैकेज के कोष को बढ़ाने के बारे में फैसला करेगा. जी-20 के दूसरे देश इसे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को और धन देने से पहले जरूरी बता रहे हैं. ये दोनों ही कदम अप्रैल के अंत तक एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय कोष बनाने के प्रयासों का हिस्सा हैं ताकि वित्तीय बाजारों को भरोसा दिलाया जा सके कि वे यूरो जोन की मुश्किलों से निबटने में सक्षम हैं. जी-20 की अगली बैठक अप्रैल में होगी.
जी-20के देशों का यह प्रयास 2008 के बाद सबसे हिम्मत वाला प्रयास है. उस समय दुनिया के बड़े देशों ने वित्तीय संकट के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए 1000 अरब डॉलर का राहत पैकेज तय किया था. ब्रिटिश वित्त मंत्री जॉर्ज ऑसबॉर्न ने भी कहा है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को तब तक अतिरिक्त धन राशि नहीं दी जाएगी जब तक यूरो देश अपने प्रयासों में तेजी नहीं लाएंगे. "हम आईएमएफ के संसाधनों पर विचार करने के लिए तैयार हैं, लेकिन यूरो जोन के पैसे का रंग देखने के बाद और अभी तक उसका रंग हमें नहीं दिखा है."
जर्मन वित्त मंत्री वोल्फगांग शौएब्ले ने कहा कि यूरोपीय नेता यूरो जोन के बचाव पैकेज पर मार्च में विचार करेंगे. इस मुद्दे पर अगले सप्ताह ब्रसेल्स में होने वाले राज्य व सरकार प्रमुखों के सम्मेलन में भी विचार होगा. शौएब्ले ने पत्रकारों से कहा, "मार्च का महीना 1 मार्च से 31 मार्च तक चलता है. उस पर फिर से विचार होगा कि यूरोपीय बचाव पैकेज का आयाम पर्याप्त है या नहीं."
ग्रीस के लिए बचाव पैकेज पर जर्मन संसद में सोमवार को मतदान होना है और राजनीतिक विरोध के कारण जर्मन सरकार पैकेज का विस्तार किए जाने का विरोध कर रही है. लेकिन जर्मनी के रुख में नर्मी ऐसे समय में आई है जब शौएब्ले ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि संसद में ग्रीस के लिए पैकेज को समर्थन मिल जाएगा. लेकिन शौएब्ले के बयान के बावजूद जर्मन चांसलर कार्यालय का कहना है कि जर्मनी बचाव पैकेज में विस्तार की फिलहाल कोई जरूरत नहीं देखता.
जर्मनी पर दबाव डालने के साथ ही जी-20 के देशों ने कर्ज संकट से निबटने के प्रयासों के लिए यूरोपीय देशों की तारीफ भी की है. मेक्सिको के राष्ट्रपति फेलिपे काल्डेरॉन ने कहा, "स्थिति की गंभीरता के बीच मुझे यह देखकर खुशी है कि यूरोजोन के देश धीरे धीरे जरूरी हल निकाल रहे हैं." अमेरिका के वित्त मंत्री टिमोथी गाइथनर ने कहा, "यूरोपीय नेताओं को उन्होंने जो हासिल किया है उसके लिए श्रेय दिया जाना चाहिए." उन्होंने कहा कि उनके कदमों का विश्व अर्थव्यवस्था के विकास में जोखिमों को कम करने पर बड़ा असर हुआ है.
जी-20 की विज्ञप्ति में तेल की बढ़ती कीमतों की भी चर्चा है जो विश्व अर्थव्यवस्था की पटरी पर वापसी के लिए खतरा है. ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर चिंताओं के कारण शुक्रवार को तेल की कीमत चढ़कर 125 डॉलर प्रति बैरल हो गई जो पिछले दस महीनों का रिकॉर्ड है. जी-20 के तेल उत्पादक देशों ने आश्वासन दिया है कि वे तेल की कीमतों से विश्व अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचने से रोकने के कदम उठाएंगे.
रिपोर्टः रॉयटर्स, एएफपी/महेश झा
संपादनः एन रंजन