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चिदंबरम के बयान से कांग्रेस में बेचैनी

२८ जून २०११

केंद्रीय गृह मंत्री के बयान से उन्हीं की पार्टी कांग्रेस असहज हुई. पी चिदंबरम का कहना है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को समय समय पर अपनी बात सार्वजनिक मंच पर रखनी चाहिए. लोकपाल के मुद्दे पर कांग्रेस में अंदरूनी मतभेद.

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तस्वीर: APImages

लोकपाल विधेयक के मुद्दे पर जारी बहस के बीच गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि प्रधानमंत्री को ज्यादा बोलना चाहिए. लोकपाल के मुद्दे पर अभी तक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चुप हैं. सरकार और विधेयक का मसौदा बनाने वाली सिविल सोसाइटी के बीच मतभेद बरकरार हैं. सिविल सोसाइटी चाहती है कि प्रधानमंत्री, सीबीआई और उच्च न्यायपालिका को भी लोकपाल के दायरे में लाया जाए.

कांग्रेस नहीं चाहती कि प्रधानमंत्री और सीबीआई को लोकपाल के दायरे में लाया जाए. गहराती बहस के बावजूद इस मुद्दे पर अब तक सरकार के मुखिया प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तरफ से कोई बयान नहीं आया है. चिदंबरम के बयान से लगता है कि पार्टी का कुछ वरिष्ठ नेता भी चाहते हैं कि कपिल सिब्बल के बजाए अगर प्रधानमंत्री खुद स्थिति साफ करें तो ज्यादा बेहतर होगा. वैसे दिग्विजय सिंह पहले कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में रखा जा सकता है.

लेकिन कांग्रेस के भीतर एक दूसरा धड़ा भी है जो ऐसा नहीं चाहता. सोमवार को कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने चिदंबरम के बयान पर पार्टी की नाराजगी जता दी. उन्होंने कहा, "यह निजी विचार हैं. एक नेता होने के नाते वह ऐसी बात कह सकते हैं." तिवारी से जब यह पूछा गया कि क्या पार्टी प्रधानमंत्री को सलाह दे रही है तो उन्होंने कहा, "यह मेरा काम नहीं है कि मैं उन्हें (प्रधानमंत्री) सलाह दूं. वह काफी बुद्धिमान और अनुभवी व्यक्ति हैं, जिन्हें पता है कि कब उन्हें अपने विचार स्पष्ट करने चाहिए."

रिपोर्ट: पीटीआआई/ओ सिंह

संपादन: एस गौड़

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