जंग से लौटे सैनिक सिरदर्द से परेशान
२७ मार्च २०१२अमेरिकी सर्वेक्षण में इस बात का खुलासा हुआ है कि हर पांच में से 1 सैनिक इस समस्या से परेशान है. सेना के शोधकर्ताओं ने 1 हजार सैनिकों की जांच के बाद पाया कि 20 प्रतिशत सैनिक तीन माह या उससे अधिक समय से सिरदर्द से परेशान है.
सर्वे टीम के मेजर ब्रेट थीलर के अनुसार" सामान्य तौर से सिरदर्द से सभी परिचित होते हैं लेकिन रोजाना होने वाला सिरदर्द इसके सबसे बुरा रूप होता है. कई बार इसका उपचार भी मुश्किल होता है." अक्सर यह माना जाता है कि सिर में चोट आने के बाद सिरदर्द की समस्या शुरू होती है. लेकिन सैनिकों में इस तरह की समस्या का होना चिंताजनक है.
समस्या का पता लगाने के लिए रिसर्च टीम ने सेम ह्यूस्टन टेक्सास की 187 बटालियन के सहयोग से 978 सैनिकों से जानकारी हासिल की थी. ये सभी इराक और अफगानिस्तान में तैनात थे. 98 प्रतिशत सैनिको ने सिरदर्द होने की बात स्वीकारी थी लेकिन 20 प्रतिशत ने रोजाना सिरदर्द होने की समस्या बताई थी.18 प्रतिशत सैनिक ही ऐसे थे जो इस समस्या से जल्दी उबर गए.
बार बार दर्द
टीम में शामिल डॉक्टरों के अनुसार ऐसे सैनिक भी अधिक खतरे में थे जिन्हें एक सप्ताह या उससे कम समय में बार-बार सिरदर्द हो रहा था. सिरदर्द की समस्या का सामना कर रहे सैनिकों के सर्वे में यह भी पता चला कि पीटीएसडी बीमारी के परीक्षण में 41 प्रतिशत सैनिक पॉजिटिव पाए गए.
अध्ययन में इस बारे में भी चर्चा की गई कि सिरदर्द का कारण सैनिकों को मैदानी तैनाती के दौरान सिर पर लगने वाली चोट भी हो सकती है. अलबर्ट आइनस्टाइन मेडिकल स्कूल न्यूयार्क के रिचर्ड लिप्टन के अनुसार, "सिर में चोट आना सचमुच काफी दर्दनाक होता है. स्वतंत्र रूप से आप जानते हैं कि दिमाग को क्या हुआ है." लिप्टन के अनुसार वह यह भी देखना चाहते हैं कि सेना में शामिल लोगों और सामान्य लोगों के बीच इस बीमारी का प्रतिशत क्या है. "मैं नहीं जानता कि इसका वास्तविक कारण क्या है. पर मैं यह सोचता हूं कि जो सेना से जुड़े होते हैं वह लगातार सतर्क बने रहते हैं. इसी वजह से आम नागरिकों की तुलना में सैनिकों को हेडेक या सिरदर्द ज्यादा होता है." लिप्टन के अनुसार फिर भी सामान्य तौर पर लोग एक या दो साल में इस बीमारी से निजात पा लेते हैं.
रिपोर्टः रायटर्स/ जे.व्यास
संपादनः आभा मोंढे