जर्मन उद्यमों में उत्तराधिकार की समस्या
२६ दिसम्बर २०१२सही उत्तराधिकारी ढूंढने की मुश्किलें इतनी बढ़ गई हैं कि इस बीच 40 फीसदी उद्योगपति अपना कारोबार युवाओं को सौंपने की कोशिश में विफल हो रहे हैं. जर्मन वाणिज्य मंडल के अध्यक्ष हंस हाइरिष ड्रिफ्टमन ने राजनीतिक पार्टियों को चेतावनी दी है कि वे अगले साल चुनाव जीतने की हालत में कर बढ़ाने पर विचार न करें, क्योंकि यह उद्योगों को युवा लोगों को देने में और मुश्किलें खड़ी करेगा.
जर्मनी में इस समय विरासत में मिलने वाली संपत्ति पर कर बढ़ाने पर बहस चल रही है. ड्रिफ्टमन का कहना है कि इस बहस से खासकर छोटे और मझोले उद्यमों में काफी संशय का माहौल है. यदि कर बढ़ाए जाते हैं तो 18,000 उद्यम खतरे में पड़ जाएंगे. इनमें एक लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं. उनके अनुसार कर के बिना भी उत्तराधिकारी न मिलने के कारण उद्यमों के सर पर तलवार लटकती रहती है.
विपक्षी सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी और ग्रीन पार्टी अगले साल होने वाले चुनावों में जीत की स्थिति में आय पर अधिकतम कर और विरासत में मिली संपत्ति पर कर बढ़ाने की योजना बना रही है. इसके अलावा संपत्ति कर भी बढ़ाने की योजना है. एसपीडी के चांसलर पद के उम्मीदवार पेअर श्टाइनब्रुक ने मझोले और पारिवारिक उद्यमों को इस कर वृद्धि से अलग रखने का आश्वासन दिया है लेकिन इसकी संवैधानिकता पर विवाद है.
वाणिज्य मंडल के प्रमुख ड्रिफ्टमन का कहना है कि आयकर और संपत्ति कर बढ़ाने से मझोले उद्यमों पर कर का बोझ इस समय के 47.5 फीसदी से बढ़कर 60 फीसदी हो जाएगा. "दूरगामी रूप से इसका असर आर्थिक विकास और रोजगार पर पड़ेगा." जर्मनी की 8.2 करोड़ आबादी में करीब 15 फीसदी युवा लोग हैं जबकि बुजुर्गों की तादाद 20 फीसदी है. जन्मदर में कमी की वजह से जर्मनी कुशल कामगारों की कमी का सामना कर रहा है.
जर्मन वाणिज्य मंडल ने हाल ही में उद्यमों में उत्तराधिकार के मामले पर एक रिपोर्ट पेश की है. इसके अनुसार नई कंपनी शुरू करने वाले 56 फीसदी लोगों को कारोबार के लिए पैसे जुटाने में मुश्किल होती है. इसके अलावा दिलचस्पी दिखाने वाले बहुत से लोग पर्याप्त प्रशिक्षित भी नहीं होते और उद्यम के अधिग्रहण की चुनौतियों को कम कर आंकते हैं.
जर्मन उद्योग और वाणिज्य मंडल के अनुभव के अनुसार 2011 में 39 फीसदी वरिष्ठ उद्योगपतियों को कोई उपयुक्त उत्तराधिकारी नहीं मिला. 2008 में यह संख्या सिर्फ 35 फीसदी थी. संभावित उद्यमियों में हर दूसरे को कोई उपयुक्त उद्यम नहीं मिलता. चार साल पहले इनकी संख्या सिर्फ 32 फीसदी थी. वाणिज्य मंडल का कहना है कि यदि विरासत के कानूनों को सख्त बनाया गया तो 26 फीसदी सीनियर उद्यमी और 24 फीसदी नए उद्यमी अधिग्रहण को खतरे में मानते हैं.
एमजे/एजेए (डीपीए)