जर्मनी के बड़बोले कप्तान
२६ अगस्त २०११लाम की किताब फिलहाल जर्मनी के एक ही अखबार बिल्ड के पास है. यह किताब अगले हफ्ते रिलीज होने वाली है. इसमें कहा गया है कि किस तरह बायर्न के लोगों को छह से आठ हफ्ते के अंदर ही लग गया था कि युर्गेन क्लिंसमन फ्लॉप हो जाएंगे. क्लिंसमन कुछ दिनों के लिए बायर्न के कोच थे और हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रीय कोच बने हैं.
लाम ने लिखा है, "हम लोग क्लिंसमन की देख रेख में सिर्फ फिटनेस ट्रेनिंग करते थे. वह कोई तकनीकी मदद नहीं देते थे और हम अपने गेम के बारे में खुद ही चर्चा करते थे."
लाम 12 साल की उम्र में 1995 में बायर्न म्यूनिख से जुड़े. इसके बाद वह सिर्फ एक बार दो साल के लिए श्टुटगार्ट गए और बाकी का समय उन्होंने बायर्न में ही बिताया. उनका कहना है कि फेलिक्स मागाथ भी नाकाम कोच थे, जिनके नेतृत्व में बायर्न ने लगातार दो साल तक दो महत्वपूर्ण खिताब जीते.
लाम का कहना है, "मागाथ के वक्त खिलाड़ियों को पता ही नहीं होता था कि उन्हें कहां खड़ा होना है. शुरू में उन्होंने खिलाड़ियों को अच्छा खेलने के लिए प्रेरित किया लेकिन बाद में उन्हें इसमें कामयाबी नहीं मिल पाई."
नीदरलैंड्स के कोच लुई फान गाल के वक्त लाम को कप्तान बनाया गया लेकिन इस दौरान दोनों एक दूसरे के खिलाफ ही बोलते रहे. उन्होंने लिखा है, "फान गाल के वक्त हमें काफी कामयाबी मिली. लेकिन उस दौरान हमारा खेल बेहद आक्रामक हो गया, जिसकी वजह से दूसरे साल में हमें काफी गोल खाने पड़े."
लाम ने अपनी किताब में लिखा है कि उन्होंने जब लाम से कुछ खास बिंदुओं पर काम करने को कहा तो उन्होंने बात सुन तो ली लेकिन बाद में अपने मन की ही की. इससे टीम को नुकसान पहुंचा.
पिछले साल वर्ल्ड कप से पहले जर्मनी के नियमित कप्तान मिषाएल बालाक घायल हो गए और आनन फानन में फुल बैक फिलिप लाम को कप्तान बना दिया गया. लाम की कप्तानी में जर्मनी ने शानदार प्रदर्शन किया और तीसरा स्थान प्राप्त किया. इसके बाद लाम अचानक से सुर्खियों में आ गए. लाम और बालाक में भी छत्तीस का आंकड़ा बन गया और बाद में बालाक को संन्यास लेना पड़ा.
लाम अब जर्मनी के नियमित कप्तान बन चुके हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः आभा एम