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जान बूझकर नकल की थी गुटेनबर्ग ने

२६ फ़रवरी २०११

जिस तरीके से उन्होंने विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों को धोखा दिया, वह बेशर्मी की हद है. जर्मन रक्षा मंत्री गुटेनबर्ग के बारे में उनके विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ओलिवर लेप्सियुस ने कहा है.

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गुटेनबैर्ग : चांसलर की रहम परतस्वीर: dapd

प्रोफेसर लेप्सियुस रक्षा मंत्री गुटेनबर्ग के गाइड प्रोफेसर पेटर हैबरले के उत्तराधिकारी हैं. उन्होंने कहा है कि कार्ल थेओडोर त्सू गुटेनबर्ग ने नकल करने के लिए व्यवस्थित व योजनाबद्ध रूप से वैज्ञानिक अध्ययनों को उतारा और अब वे कह रहे हैं कि उन्हें पता नहीं था कि वे क्या कर रहे हैं. प्रोफेसर लेप्सियुस की राय में इससे प्रकरण का राजनीतिक आयाम स्पष्ट हो जाता है.

गुटेनबर्ग ने अपनी थीसिस में भयानक गलतियों की बात स्वीकार कर ली थी, लेकिन उन्होंने इस बात से इंकार किया है कि उन्होंने जान-बूझकर नकल की थी. बायरॉयथ विश्वविद्यालय ने उनकी डॉक्टरेट की उपाधि वापस ले ली है. जर्मन अनुसंधान समाज के पूर्व अध्यक्ष ऐर्न्स्ट लूडविष विन्नाकर ने कहा है कि शिक्षा जगत में गुटेनबर्ग खत्म हो चुके हैं. उन्होंने इस प्रकरण को हल्के ढंग से लेने के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा, "शोधकर्ता किसी को जेल में नहीं डाल सकते हैं, यह अधिकार सिर्फ न्यायाधीश का है. लेकिन विज्ञान जगत की सजा यही है कि जिंदगीभर कटघरे में रहना पड़ता है. नतीजा स्पष्ट है कि जो लोग ऐसा काम करते हैं, वे ज्ञान के जगत के लिए खत्म हो चुके होते हैं." प्रोफेसर विन्नाकर ने कहा कि रक्षा मंत्री को सोचना चाहिए कि क्या वे अपने सैनिकों या सेना के कॉलेज के छात्रों के सामने आदर्शों की बात कर सकते हैं.

जर्मनी के विपक्ष ने भी फिर एक बार गुटेनबर्ग के खिलाफ निशाना साधा है. विपक्षी एसपीडी के अध्यक्ष सिगमार गाब्रिएल ने नेतृत्व की उनकी क्षमता पर अपना संदेह व्यक्त किया है. एक समाचार पत्र को दिए गए इंटरव्यू में गाब्रिएल ने कहा है कि गुटेनबर्ग अब एक ऐसे मंत्री हैं, जिन्हें किसी भी वक्त हटना पड़ सकता है, वे चांसलर मैर्केल की रहम पर मंत्री बने हुए हैं. मंत्रीमंडल की बैठक में उन्हें वित्त मंत्री की रियायत पर जीना पड़ेगा, और अगर सेना के लिए किसी चीज की जरूरत पड़ेगी तो चांसलर का सहारा लेना पड़ेगा. गाब्रिएल की राय में ऐसी हालत में रक्षा मंत्री जर्मन सेना के लिए एक जोखिम बन चुके हैं.

रिपोर्ट एजेंसियां/ उभ

संपादन एन रंजन

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