टीम की एकता कायम रखें वीरू और माही
२४ फ़रवरी २०१२भारतीय क्रिकेट टीम को आपसी एकता का महत्व समझाने के लिए बीसीसीआई ने खुद कदम उठाने का फैसला किया है. समझा जाता है कि इसके लिए बीसीसीआई सचिव संजय जगदाले को टीम मैनेजमेंट के साथ बात करने और ड्रेसिंग रूम में माहौल को बेहतर बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. एक दिन पहले ही बीसीसीआई ने दावा किया था कि टीम में दरार नहीं है और ऐसी कोई बात नहीं है जिसके लिए चिंतित हुआ जाए.
हालांकि बीसीसीआई का कोई भी अधिकारी फिलहाल इस बारे में बयान देने के लिए सामने नहीं आया है. बीसीसीआई सूत्रों से खबर मिली है कि जगदाले ने कप्तान महेंद्र सिंह धोनी, वीरेंद्र सहवाग और टीम के कोच डंकन फ्लैचर से बात की है और उनसे कहा है कि वो एक टीम की तरह खेलें. ऐसी भी खबरें आ रही है कि धोनी और सहवाग एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर यह संदेश देंगे कि टीम में सबकुछ अच्छा है और टीम के सीनियर खिलाड़ियों के बीच कोई मतभेद नहीं है.
रोटेशन से टेंशन
टीम में मतभेद की खबरें तब उभरनी शुरू हुईं जब मैनेजमेंट ने केवल तीन सलामी बल्लेबाजों के लिए रोटेशन की नीति शुरू की. ये तीन खिलाड़ी हैं सचिन तेंदुलकर, सहवाग और गौतम गंभीर, इस कदम के औचित्य पर गरमा गरम बहस शुरू हो गई. खिलाड़ियों के बीच दरार तब सामने नजर आया जब गंभीर ने धोनी पर मैच जल्दी खत्म न करने के आरोप लगाए जबकि कप्तान ने कहा कि यह मामला समझ का है.
इसके बाद धोनी ने सार्वजनिक रूप से तीनों खिलाड़ियों की फिल्डिंग की क्षमता पर सवाल उठा कर हलचल मचा दी. धोनी ने कहा कि तीनो साथ नहीं खेल रहे थे क्योंकि ये फिल्डिंग में थोड़े धीमे हैं और उनकी वजह से टीम को 20 अतिरिक्त रनों की कीमत चुकानी पड़ती.
कप्तान की बात के जवाब में सहवाग ने भी मोर्चा खोल दिया और कहा कि जब रोटेशन की नीति लागू की गई तब धीमी फिल्डिंग जैसा कोई मुद्दा नहीं था. वरिष्ठ खिलाड़ियों के बीच इस तरह की बातचीत और प्रेस कांफ्रेंस में एक दूसरे पर उंगली उठाना मीडिया की नजरों से दूर नहीं है. मीडिया पहले से ही उनके खराब प्रदर्शन को लेकर उन पर उंगली उठा रहा है. ऑस्ट्रेलिया दौरे पर खराब प्रदर्शन के कारण टीम पहले से ही मीडिया के निशाने पर है. अब आपसी फूट की खबरों का भी पिटारा खुल गया है.
रिपोर्टः पीटीआई/एन रंजन
संपादनः आभा एम