टूटी फूटी टीम संभालता बीसीसीआई
२२ फ़रवरी २०१२ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई भारतीय टीम को टेस्ट मैचों के बाद वनडे में भी लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है. इसमें सबसे ज्यादा विवाद में कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की रोटेशन पॉलिसी आ रही है. मीडिया में रिपोर्टें आ रही हैं कि इस मुद्दे पर उनके और उप कप्तान वीरेंद्र सहवाग के बीच ठन गई है. लेकिन भारतीय क्रिकेट बोर्ड का कहना है कि खबरें बढ़ा चढ़ा कर पेश की जा रही हैं.
बीसीसीआई के अध्यक्ष एन श्रीनिवासन ने कहा, "आपको इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. मैं नहीं समझता कि टीम में कोई दरार है. किसी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है."
मंगलवार के मैच में प्रतिबंध की वजह से धोनी नहीं खेल पाए थे और कप्तानी वीरू ने की थी. लेकिन बाद में उनके एक बयान पर बहस छिड़ गई. उन्होंने दावा किया कि धोनी ने ऐसा नहीं कहा है कि टीम के टॉप तीन खिलाड़ी सुस्त हैं और अगर ऐसा कहा है तो उनसे दोबारा पूछना चाहिए क्योंकि मैंने (सहवाग) आज के मैच में एक शानदार कैच लिया है और हम पिछले 10 साल से ऐसा ही खेलते आए हैं.
बहुत बढ़ा चढ़ा है
इस पर श्रीनिवासन का कहना है, "वे प्रेस कांफ्रेंस में सवालों का जवाब दे रहे थे. यह हर मैच के बाद होता है. मैंने वहां मीडिया मैनेजर से बात की है. मैं समझता हूं कि खूब बढ़ा चढ़ा कर रिपोर्टें लिखी गई हैं."
बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला तो उलटे मीडिया पर ही दोष मढ़ रहे हैं, "मुझे लगता है कि सहवाग के बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है. टीम में कोई भी दरार नहीं है. सिर्फ मीडिया का एक तबका यह बात लिख रहा है. टीम में कोई मुश्किल नहीं है. बीसीसीआई लगातार खिलाड़ियों के संपर्क में है."
कपिल की बात
इससे पहले भारत को पहला विश्व कप जिताने वाले कपिल देव ने बीसीसीआई से कहा था कि उन्हें टीम के अंदर की दरार ठीक करना चाहिए. रोटेशन पॉलिसी और वरिष्ठ खिलाड़ियों को सुस्त बताने वाले मुद्दे के तूल पकड़ने पर कपिल देव का कहना है, "कप्तान का नजरिया हो सकता है कि अलग हो और आम तौर पर उसके नजरिए का सम्मान किया जाना चाहिए. मैं समझता हूं कि बीसीसीआई को इस मामले में दखल देना चाहिए और मुद्दे को सुलझाना चाहिए."
यह पूछे जाने पर कि सहवाग जैसे वरिष्ठ खिलाड़ी को रोटेशन पॉलिसी के बारे में ठीक से जानकारी नहीं देना कितना सही है, कपिल ने कहा, "कई बार हमारे मां बाप का नजरिया भी अलग तरीके का होता है. इसे तूल नहीं दिया जाना चाहिए. लेकिन खिलाड़ियों को पता होना चाहिए कि उनके साथ देश की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है. अगर कहीं गलतफहमी हो रही है तो उसे ठीक किया जाना चाहिए."
कौन कितना सुस्त
सारा विवाद उस वक्त शुरू हुआ, जब भारतीय टीम के मैनेजमेंट ने तीन सबसे वरिष्ठ खिलाड़ियों सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर को एक एक कर आराम देना शुरू कर दिया. इसके बाद गंभीर के बयान से विवाद पैदा हुआ, जिन्होंने कहा कि धोनी को एक मैच दो ओवर पहले ही खत्म कर लेना चाहिए था. लेकिन धोनी ने अगले मैच में बम गिराते हुए भारतीय तिकड़ी की फील्डिंग पर सवाल उठा दिया. उन्होंने कहा कि तीनों खिलाड़ी सुस्त हैं और इसलिए उनके खेलने से टीम को कम से कम 20 रन का नुकसान होता है.
लेकिन सचिन और गंभीर शानदार फील्डरों में गिने जाते हैं, जबकि सहवाग ने श्रीलंका के खिलाफ अद्भुत कैच लेकर धोनी की बात को गलत साबित कर दिया है. बहरहाल, टेस्ट और वनडे मैचों में बुरी तरह हार रही टीम इंडिया में दरार और टूट फूट तो तभी पटेगी, जब जीत मिलेगी.
रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल
संपादनः आभा एम