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टैंक बिक्री की योजना पर विरोध

६ नवम्बर २०१२

इंडोनेशिया को टैंक बेचने की जर्मनी की योजना की मानवाधिकार संगठन आलोचना कर रहे हैं, लेकिन इंडोनिशियाई विपक्ष ने आपत्तियों के बावजूद सौदे को हरी झंडी दे दी है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

इंडोनेशिया के रक्षा मंत्रालय ने इस हफ्ते बताया कि सेना जर्मनी से 103 लियोपार्ड टैंक और 50 छोटे मार्डर टैंक खरीदेगी. इनकी खरीद के लिए डुसेलडॉर्फ की राइनमेटाल कंपनी को ऑर्डर दिया गया है. उप रक्षा मंत्री जाफरी समशुद्दीन ने पत्रकारों से कहा, "टैंकों की सप्लाई चरणों में होगी, 2012 और 2013 के अंत में और 2014 की शुरुआत में." टैंकों का यह सौदा 21 करोड़ यूरो का है और समशुद्दीन के अनुसार इसे विदेशी कर्ज से खरीदा जाएगा.

इंडोनेशिया के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि 40 2ए4 प्रकार के लियोपार्ड टैंकों और 63 संवर्धित रिवोल्यूशन प्रकार के टैंकों का ऑर्डर दिया गया है, जो शहरी क्षेत्रों में तैनाती के लिए उपयुक्त हैं. रक्षा मंत्रालय और राइनमेटल इस सौदे पर बुधवार को एक मेमोरंडम ऑफ स्टेटमेंट पर दस्तखत करेंगे. दोनों टैंकों का एक एक नमूना रक्षा व्यापार मेले इंडो डिफेंस एक्सपो 2012 में देखा जा सकेगा.

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इंडोनेशिया के उप रक्षा मंत्री जाफरी समशुद्दीनतस्वीर: Bay Ismoyo/AFP/Getty Images

इंडोनेशिया में आलोचना

मानवाधिकार संगठनों ने जर्मनी और इंडोनेशिया के बीच इस सौदे की आलोचना की है. लेकिन टैंकों की आपूर्ति से पहले जर्मन सरकार को इसकी अनुमति देनी होगी. सर्वाइवल इंटरनेशनल की वलेस्का एबेलिंग ने कहा है कि उनका संगठन इंडोनेशिया में मानवाधिकारों की स्थिति के कारण चिंतित है, खासकर पश्चिम पापुआ में जहां सालों से आदिवासियों का दमन हो रहा है. उनके लिए स्पष्ट है, "जर्मन टैंकों को अपनी ही जनता के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है. हम चाहते हैं कि जर्मनी अपनी जिम्मेदारी समझे और इंडोनेशिया के साथ मानवाधिकारों के मुद्दे को उठाए."

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डुसेलडॉर्फ की राइनमेटाल कंपनीतस्वीर: picture alliance / Horst Ossinger

इंडोनेशिया में विपक्ष को इस सौदे पर आपत्ति है. संसद के रक्षा आयोग के सदस्य हेल्मी फौजी का कहना है कि लियोपार्ड टैंक इंडोनेशिया के लिए उपयुक्त नहीं हैं, क्योंकि वे वहां की सड़कों के लिए काफी वजनदार हैं. इसके अलावा इंडोनेशिया के पास बड़े युद्धक टैंकों के परिवहन के लिए मालवाही जहाज नहीं हैं. लेकिन विपक्षी पीडीआई पार्टी के सांसद फौजी जर्मनी के साथ रक्षा सौदे के खिलाफ नहीं हैं. वे कहते हैं, "इंडोनेशिया को हल्के और छोटे टैंकों की जरूरत है." संसदीय आयोग में टैंकों की खरीद पर गरमागरम बहस हुई, और अंत में बहुमत से फैसला हुआ क्योंकि सेना फौरन आधुनिक टैंक चाहती थी.

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मार्डर टैंकतस्वीर: picture-alliance/ dpa

इज्जत का सवाल

सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार इंडोनेशिया की सेना हर हालत में भारी युद्धक टैंक खरीदना चाहती है क्योंकि पड़ोसी मलेशिया और सिंगापुर के पास ऐसे टैंक हैं. जर्मनी से लियोपार्ड टैंक खरीदना इज्जत के लिए महत्वपूर्ण है. इंडोनेशिया के मानवाधिकार संगठन इम्पार्सियाल की पोएंगकी इंदार्ती टैंकों की खरीद को पैसे की बर्बादी बताती हैं. उनका कहना है कि हथियारों की खरीद का पैमाना वस्तुपरक होना चाहिए राजनीतिक नहीं. भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए पारदर्शिता जरूरी है.

पहले इंडोनेशिया नीदरलैंड्स की सेना में तैनात लियोपार्ड टैंकों को खरीदना चाहता था. लेकिन वहां की संसद के बहुमत ने 2012 के शुरू में इंडोनेशिया में मानवाधिकारों के हनन का हवाला देकर सौदे पर रोक लगा दी. इंडोनेशिया की सेना के प्रवक्ता ने उस समय कहा था कि दूसरी जगहों से भी पेशकश है. टैंकों के सौदे के विरोधी अब जर्मन सरकार से आस लगाए हैं. वालेस्का एबेलिंग कहती हैं, "भले ही सौदा जर्मन कंपनी से हुआ है, लेकिन जर्मन सरकार को अनुमति देनी होगी." उन्हें उम्मीद है कि ऐसा नहीं होगा.

रिपोर्ट: हेन्द्रा पासहुक/एमजे

संपादन: ईशा भाटिया

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