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डायनासोर के नए जीवाश्म से महत्वपूर्ण जानकारी

२८ मार्च २०११

जीवों के विवर्तन के सिद्धांत या ईवोल्यूशन थ्योरी में अब भी कुछ अनसुलझे सवाल रह हैं, वैज्ञानिक जिनका पता लगाने में व्यस्त हैं. अर्जेंटीना में पाए गए डायनासोर के नए जीवाश्म से उसके विकास के बारे में नई जानकारी मिल सकती है.

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तस्वीर: Museum Koenig, Bonn/MF

विलुप्त जीव डायनासोरों का अध्ययन करने वाले पैलेंटोलॉजिस्टों का कहना है कि अर्जेंटीना में पाए गए लंबी गरदन व लंबी पूंछों वाले डायनासोर के नए जीवाश्म से इनकी तथाकथित खोई कड़ी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है.

लगभग 17 करोड़ साल पहले डिप्लोडोकुस, ब्राखियोसॉरुस व ब्रोंटोमेरुस जैसे विशाल शाकाहारी डायनासोर रहते थे. इन्हें विज्ञान की भाषा में साउरोपॉड कहा जाता है. लगभग 20 से 25 करोड़ साल तक छोटे आकार के ऐसे ही जीव धरती पर रहते थे. मिसाल के तौर पर सेलोसॉरुस या प्लाटेयोसॉरुस, जिन्हें वैज्ञानिकों ने प्रोसाउरोपॉड का नाम दिया था. अब पैलेंटोलॉजिस्टों को लेओनेरासॉरुस नामक डायनासोर के जीवाश्म मिले हैं, जो साउरोपॉड डायनासोरों से लगभग एक करोड़ साल पहले धरती पर रहते थे. इनकी लंबाई तीन मीटर के बराबर होती थी.

नई प्रजाति

यह एक नई प्रजाति है और एजिडियो फेरुग्लिओ म्युजियम ऑफ पैलेंटोलॉजी के दिएगो पोल का कहना है कि इनके जरिये साउरोपॉड डायनासोरों के उद्गम और विकास के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है.

पोल ने कहा कि एक भूगर्भशास्त्री व एक छात्र के साथ पैटागोनिया पहाड़ियों के ताकेतरान में उन्होंने इनकी खोज की है. इस इलाके में अक्सर जुरासिक दौर के जीवाश्म पाए गए हैं, जो साढ़े चौदह से 20 करोड़ साल पुराने हैं.

अभी तक लेओनेरासॉरुस के पूरे शरीर के जीवाश्म नहीं मिले हैं. पोल ने कहा, "उनकी खोपड़ी व पूंछ के हिस्से नहीं मिले हैं, लेकिन रीढ़, कुल्हे, शरीर के अगले हिस्से व पिछली टांगों के जीवाश्म मिल चुके हैं.

लेओनेरासॉरुस के आविष्कार के बारे में पोल अपने साथियों के साथ एक अध्ययन तैयार कर चुके हैं, जो प्लोस वन नामक जर्नल के जनवरी अंक में प्रकाशित हुआ था.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: वी कुमार

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