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डीजीसीए अधिकारी फर्जी लाइसेंस मामले में गिरफ्तार

२६ मार्च २०११

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी सहित तीन पायलेटों को दिल्ली पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार किया है. पुलिस का कहना है कि यह पायलेटों के लिए जाली मार्कशीट बनाने में मदद करते रहे हैं.

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तस्वीर: AP

इस गिरफ्तारी के साथ जाली पायलट लाइसेंस मामले में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. इसमें तीन पायलट भी शामिल हैं. हालांकि तीन और पायलेटों और गैंग के सहयोगी की पुलिस को अब भी तलाश है. डीसीपी अशोक चांद ने बताया, "हमने गैंग को पकड़ लिया है लेकिन तीन पायलटों और एक सहयोगी की तलाश है जो मुंबई में विमान उड़ाने की ट्रेनिंग देता है."

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के उप निदेशक प्रदीप के, पायलट प्रदीप त्यागी और उसके दो सहयोगियों पकंज जैन और ललित जैन को 23 मार्च से कल के बीच दिल्ली और चेन्नई से गिरफ्तार किया गया.

त्यागी ने खुद व्यावसायिक पायलट का लाइसेंस फर्जी मार्कशीट के आधार पर जून 2010 में लिया. चांद ने कहा, "त्यागी इस गैंग के मुख्य व्यक्ति हैं. मुंबई के दीपक असतकर इस गैंग से जुड़े हुए हैं." पायलटों ने फर्जी मार्कशीट के लिए 12 लाख रुपए अदा किए. त्यागी ने कुमार को उनकी फाइल आगे बढ़ाने के लिए 25 हजार रुपए दिए.

डीजीसीए ने शिकायत दर्ज की थी कि कुछ पायलट लायसेंस पाने के लिए फर्जी मार्कशीट जमा की है. इस मामले में पहली पायलट इंडिगो की परमिंदर कौर थीं जिन्हें निलंबित किया गया और चार दिन बाद एयर इंडिया के जेके वर्मा को निलंबित किया गया.

व्यावसायिक पायलट का लाइसेंस लेने के लिए एविएशन मीटरोलोजी, रेडिओ एड्स और इंस्ट्रूमेंट एंड एयर नेविगेशन विषयों की परीक्षा पास करनी पड़ती है. लेकिन फर्जी मार्कशीट वाले पायलेट इनमें से किसी एक में फेल हो गए.

डीसीपी चांद ने बताया, "ललित और पंकज की मदद से त्यागी ने वर्मा को जाली मार्कशीट दी. त्यागी ने छह लाख रुपए खुद रखे और ललित और पंकज को एक एक लाख दिए. डीजीसीए अधिकारी को 25 हजार रुपए दिए गए."

रिपोर्टः पीटीआई/आभा एम

संपादनः एम गोपालकृष्णन

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