डोपिंग में पांच भारतीय एथलीटों पर प्रतिबंध
१५ दिसम्बर २०११नाडा के महानिदेशक राहुल भटनागर ने कहा, "हमने पांच खिलाड़ियों पर रोक लगा दी है क्योंकि हम इस सिस्टम से पूरी तरह डोपिंग को समाप्त करना चाहते हैं." उन्होंने समाचार एजेंसी एपी को बताया, "एडवोकेट सुधीर नंदराजोग की अध्यक्षता वाली एक समिति ने इनके मामलों पर विचार करने के बाद फैसला सुनाया है."
जिन पांच खिलाड़ियों पर प्रतिबंध लगाया गया है वे हैं फर्राटा धावक हेमंत किरुलकर, हैमर थ्रोअर गौरव भारद्वाज, लंबी दूरी के दौड़ाक बी मधुसूदन, गोला फेंकने वाले बुद्धिसत्व बनर्जी और भाला फेंकने वाले मेघा परदेशी हैं. मधुसूदन और परदेशी की जांच में प्रतिबंधित पदार्थ स्टैनोजोल मिला जबकि किरुलकर को ऑक्सैनड्रोलोन, भारद्वाज को नैंद्रोलोन और बनर्जी को मिथाइल हैक्सानेमीन के इस्तेमाल का दोषी पाया गया.
राहुल भटनागर ने कहा है कि नाडा ने स्कूल और कॉलेज स्तर की प्रतियोगिताओं में डोपिंग की जांच शुरू कर दी है और दोषी पाए जाने पर जूनियर खिलाड़ियों पर भी प्रतिबंध लगाए जाएंगे.
डोपिंग रोकने की दिशा में नाडा बहुत सक्रिय भूमिका निभा रहा है, हाल के कबड्डी विश्वकप में भाग लेने वाले खिलाड़ियों में 53 को डोपिंग का दोषी पाया गया था. दक्षिण एशिया में कबड्डी बहुत लोकप्रिय है, लेकिन उसकी कोई विश्व संस्था नहीं है. इसलिए वह विश्व एंटी डोपिंग एजेंसी वाडा के नियमों के तहत भी नहीं आता.
लेकिन पंजाब में हुए विश्व कप के आयोजकों ने राष्ट्रीय एंटी डोपिंग एजेंसी नाडा से भागीदार खिलाड़ियों की डोपिंग जांच करने को कहा. बाद में दोषी पाए गए खिलाड़ियों को विश्व कप से बाहर कर दिया गया. नाडा ने विश्व कप से पहले एक कैंप में भी बारतीय खिलाड़ियों की जांच की थी और उनमें से 20 पॉजीटिव पाए गए थे.
इसके पहले इस साल के आरंभ में भारत को तब शर्मसार होना पड़ा था जब पिछले साल कॉमनवेल्थ खेलों और 2010 के एशियाई खेलों में 400 मीटर रिले दौड़ में सोने का पदक जीतने वाली टीम के तीन सदस्य डोपिंग के लिए पकड़े गए. अश्विनी अकुंजी, मनदीप कौर और सिनी जोस को दूसरे खिलाड़ियों के साथ ताकत बढ़ाने वाली दवाएं लेने का दोषी पाया गया. नाडा की एक अन्य समिति इन मामलों पर अलग से विचार कर रही है.
रिपोर्ट: एपी/महेश झा
संपादन: ए जमाल