ड्रीमलाइनर की उड़ान भरेगा एयर इंडिया
७ जुलाई २०११लंबे इंतजार के बाद 13 जुलाई को एयर इंडिया के बेड़े में अमेरिकी कंपनी बोइंग का नया विमान 787 ड्रीमलाइनर शामिल हो रहा है. एयर इंडिया ने 27 विमानों को ऑर्डर दिया है. तीन साल की देरी के बाद एयर इंडिया को यह विमान मिलने जा रहे हैं.
787 ड्रीमलाइनर 13 जुलाई को दिल्ली में उतरेगा. इसके बाद विमान दिल्ली से मुंबई की टेस्ट फ्लाइट पर जाएगा. जानकारी देते हुए नागरिक उड्डयन मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "अक्टूबर से हमें बोइंग 787 ड्रीमलाइनर की डिलीवरी मिलनी शुरू हो जाएगी. इस साल चार विमान मिलेंगे. पहला विमान अक्टूबर में, दो नंवबर में और एक दिसंबर में मिलेगा."
एयर इंडिया ड्रीमलाइनर सबसे पहले ऑर्डर देने वाली कंपनियों में से एक है. 2005 में सरकारी एयरलाइन ने 111 विमानों को ऑर्डर दिया, जिनमें से 27 विमान 787 ड्रीमलाइनर हैं. लेकिन ड्रीमलाइनर प्रोजेक्ट में बोइंग को भी काफी देरी हुई, यही वजह है कि विमान अब जाकर डिलीवरी के लिए तैयार हो सका है. बोइंग को ड्रीमलाइनर के लिए 55 एयरलाइन्स के 835 ऑर्डर मिले हैं.
कैसा है ड्रीमलाइनर
बोइंग 787 ड्रीमलाइनर लंबी दूरी का दो इंजनों वाला विमान है. इसमें 210 से 330 यात्री बैठ सकते हैं. बोइंग के मुताबिक तेल की खपत के मामले में यह उसका सबसे किफायती विमान है. ड्रीमलाइनर अपनी श्रेणी के ही बोइंग 767 से 20 फीसदी कम तेल पीता है.
सवा लाख से डेढ़ लाख लीटर ईंधन भरने की क्षमता वाला ड्रीमलाइनर 787-8 अधिकतम 2,28,000 किलोग्राम और ड्रीमलाइनर 787-9 अधिकतम 2,51,000 किलोग्राम वजन के साथ उड़ान भर सकता है. विमान की अधिकतम गति 954 किलोमीटर प्रतिघंटा है.
तीन मॉडलों वाला 787 ड्रीमलाइनर एक बार में 14,800 से लेकर 15,7000 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकता है.
किफायती बनाने के लिए विमान को हल्का बनाया गया है. दूसरे पैसेंजर जेटों की तुलना में ड्रीमलाइनर काफी हल्का है. एल्यूमीनियम और कार्बन फाइबर के इस्तेमाल से विमान का वजन घटाया गया है. 15 फीसदी टाइटेनियम, 10 फीसदी स्टील और 5 फीसदी अन्य धातुओं का इस्तेमाल किया गया है.
चिंताओं का इम्तिहान बाकी
ड्रीमलाइनर को लेकर अभी कुछ चिंताएं बाकी हैं. लंबी दूरी के इस विमान में सिर्फ दो इंजनों का होना विशेषज्ञों के लिए हैरानी भरा है. अब तक लंबी दूरी के सभी विमानों में चार इंजन होते हैं. एक या दो या कभी कभार तीन इंजनों के नाकाम होने पर भी विमान को आपातकालीन परिस्थितियों में उतारा जा सकता है.
बोइंग के कुछ पुराने इंजीनियर ड्रीमलाइनर के बीच के हिस्से (यात्रियों के बैठने के कैबिन, सामान रखने वाली जगह) को लेकर आपत्ति जता चुके हैं. इस हिस्से को कार्बन फाइबर से बनाया गया है. इंजीनियरों का कहना है कि कार्बन फाइवर में कमजोरी या दरार के लक्षण दिखाई नहीं पड़ते हैं. क्रैश लैंडिंग को लेकर भी चिंताएं बरकरार हैं. धातु के चैंबर अक्सर इमरजेंसी के दौरान भारी झटकों को बर्दाश्त कर लेता है. क्या ड्रीमलाइनर का कार्बन फाइबर का बना चैंबर ऐसा कर पाएगा, यह साफ नहीं है.
यह भी शक जताया जा रहा है कि काफी उंचाई पर पहुंचने के बाद मिश्रित धातुएं अगल किस्म का व्यवहार करने लगेंगी. वक्त बीतने के साथ साथ विमान कमजोर पड़ सकता है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: ए जमाल