तालिबान ने किया 17 का सिर कलम
२७ अगस्त २०१२हेलमंद प्रांत के गवर्नर के प्रवक्ता दाऊद अहमदी ने कहा, "इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकी है कि इसके पीछे तालिबान ही हैं. हां, ये जरूर पक्का हो गया है कि जिन 17 लोगों की हत्या की गई है उनमें से 15 पुरुष और दो महिलाएं हैं. और जिस इलाके में ये घटना हुई है वो तालिबान के प्रभाव वाला इलाका है."
मूसा कला जिले के प्रमुख ने इस बात की पुष्टि की है कि जिन लोगों की हत्या की गई है वो नाच गा रहे थे. इस बात की संभावना जताई जा रही है कि जिन दो महिलाओं का सिर कलम किया गया है वो भी नाच रही थीं. हालांकि दक्षिणी अफगानिस्तान के कबीलों में महिलाओं का नाचना आम बात है लेकिन तालिबान की निगाह में ये इस्लाम की मान्यताओं के खिलाफ है. जिस गांव में इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया है वो कजाकी और मूसा कला जिलों के बीच पड़ता है. कबीलाई नेता हाजी मूसा खान कहते हैं, "हाल के दिनों में इलाके में तालिबान ने कई लोगों की हत्या की है. तालिबान का प्रभाव बढ़ रहा है. रमजान के महीने में भी तीन लोगों की गला काटकर हत्या कर दी गई थी. इसी तरह एक कबीलाई नेता के बेटे की भी हत्या की गई थी. इसके बाद इस इलाके में अफगान सैनिकों और नाटों की सेनाओं ने बड़ा अभियान चलाया है."
सैनिकों की हत्या
गांव वालों का सिर कलम करने के कुछ ही घंटे बाद तालिबान ने अफगान सैनिकों की एक चौकी पर भी हमला किया. हेलमंद प्रांत के वशीर गांव में हुए इस हमले में 10 सैनिकों की मौत हो गई है. चार सैनिक घायल हुए हैं. पांच फौजियों को तालिबान ने अगवा कर लिया है. वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मोहम्मद इस्माएल होतक का कहना है कि सैनिकों की चौकी पर हुए हमले में कुछ अंदर के लोग भी शामिल थे. वो कहते हैं, "इस हमले में सेना के कुछ जवानों ने तालिबान की मदद की है."
अगर यह साबित हो जाता है कि अफगान सैनिकों में से ही किसी ने तालिबान की मदद की है तो यह काफी चिंता की बात होगी. कुछ ही दिनों पहले तालिबान ने बयान जारी कर दावा किया था कि उसके लड़ाकों ने सेना और खुफिया तंत्र में घुसपैठ कर ली है.
इससे पहले पूर्वी लघमान प्रांत में भी एक अफगान सैनिक ने गोली मारकर दो नाटो सैनिकों की हत्या कर दी थी. अमेरिका के नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय सहायता बल के प्रमुख ने बताया है कि जवाबी कार्रवाई में गोली चलाने वाला अफगान सैनिक मारा गया.
नाटो की वापसी पर सवाल
एक ओर नाटो सैनिकों की वापसी की योजना बनाई जा रही है तो दूसरी ओर तालिबान के हमले में तेजी आई है. सवाल ये है कि क्या तय समय सीमा में नाटो सैनिकों की वापसी हो पाएगी. इस साल अब तक 42 नाटो सैनिकों की तालिबान हत्या कर चुका है. इनमें से ज्यादा की हत्या अफगान सेना के अंदर के किसी सैनिक या फिर सैनिक की मदद से तालिबान ने की है. 1,30,000 जवानों की सेना वाले नाटो गठबंधन को अफगानिस्तान में शांति बहाली में भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. हाल के दिनों में अफगान सेना और नाटो सैनिकों के बीच भरोसे में कमी आई है.
तालिबान का जमाना
जिस तरह से तालिबान ने नाचने गाने और संगीत सुनने वालों की हत्या की है उससे तालिबान के शासन काल वाले अफगानिस्तान की याद ताजा हो गई है. 1996 से 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान का शासन था. इस दौरान महिलाओं के वोट देने, नाचने-गाने और लोगों के संगीत सुनने पर प्रतिबंध था. तालिबान के शासनकाल में महिलाओं के घर से अकेले निकलने पर भी मनाही थी. तालिबान शासन का अंत 2001 में हुआ जब अमेरिका की अगुवाई में नाटो सैनिकों ने अफगानिस्तान में हमला किया. हालांकि अब अफगानिस्तान में राष्ट्रपति हामिद करजई के नेतृत्व में चुनी हुई सरकार काम कर रही है लेकिन तालिबान की चुनौती अभी समाप्त नहीं हुई है.
वीडी/ओएसजे (एएफपी,रॉयटर्स)