तेज हुआ मंगल का कौतूहल
५ अगस्त २०१२मंगल पृथ्वी का सबसे करीबी ग्रह है. वैज्ञानिकों को यहां पानी के संकेत भी मिले हैं. यानी मंगल में जीवन की उम्मीद. हालांकि मार्स यानी मंगल एक सूखा ग्रह है और तूफान, बर्फ और धूल वहां जीवन को किसी भी तरह पनपने नहीं देते.
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का कहना है कि उसका मार्स रोवर (विशालकाय रोबोट वाली गाड़ी) यानी मंगल के लिए खास अंतरिक्ष प्रयोगशाला और खोजी मशीन, क्यूरियोसिटी, मार्स की जमीन पर जीवन खोजेगा और उसकी जानकारी वापस पृथ्वी पर भेजेगा ताकि इंसान को मंगल पर भेजने की तैयारी की जा सके. यह जानकारी वैज्ञानिकों को मार्स रोवर के पहुंचने के 14 मिनट बाद से मिलेगी, क्योंकि मंगल से पृथ्वी तक सिग्नल पहुंचने में इतना वक्त लगता है.
नासा का कहना है कि क्यूरियोसिटी का प्रदर्शन अब तक अच्छा रहा है. क्यूरियोसिटी का मतलब है कौतूहल, और वैज्ञानिक जानकारी की अपनी लालसा को इसी के जरिए पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं. परमाणु ऊर्जा से चल रहा मार्स रोवर अब तक का सबसे बड़ा है. इसका वजन एक टन के करीब है और यह एक छोटी कार जितना बड़ा है.
नासा के वैज्ञानिक मैकक्विशन काफी चिंता में हैं और कहते हैं कि मार्स जाने वाले यानों में से केवल 40 प्रतिशत सफलतापूर्वक वहां उतर पाए हैं. मिशन के अंतिम सात मिनट खास तौर पर तनावपूर्ण रहेंगे. इसके लिए नासा के दो सैटेलाइट भी मार्स रोवर के आसपास रहेंगे और लैंडिंग पर नजर रखेंगे.
लेकिन विशेषज्ञ अश्विन वासावदा कहते हैं कि मार्स में मौसम अच्छा है और रविवार तक कोई बड़ी परेशानी आने की आशंका नहीं है. लैंडिंग साइट के पास एक धूल का तूफान बनता लग रहा है लेकिन इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा. अगर योजना सफल हुई तो थोड़ी ही देर बाद नासा को तस्वीरें मिलने लगेंगी.
इसके लिए क्यूरियोसिटी में 17 कैमरे लगाए गए हैं. साथ ही, पत्थरों को तोड़ने के लिए एक शक्तिशाली लेजर, विकिरण पकड़ने वाली मशीनें, पानी खोजने के सेंसर और मिट्टी जमा करने के खास उपकरण लगाए गए हैं. मार्स रोवर कार्बन रसायनों की भी खोज करेगा, जिससे जीवन होने के संकेत मिल सकते हैं.
मार्स से लगभग 25 करोड़ किलोमीटर दूर, 1,400 वैज्ञानिक, इंजीनियर और नासा के खास मेहमान टीवी पर रोवर का सीधा प्रसारण देखेंगे.
न्यू यॉर्क के टाइम्स चौराहे पर बड़ी स्क्रीनों पर जनता मंगल को देख सकेगी. और इतनी तैयारी के बावजूद लैंडिंग बिगड़ी तो... "हम दोबारा खड़े होंगे और धूल झाड़ लेंगे. हम दोबारा काम शुरू करेंगे. यह खत्म नहीं होगा." मैकक्विशन इस बयान से साबित कर रहे हैं कि मनुष्य को इस तरह की चुनौतियों की जरूरत है ताकि और कोशिश की जा सके और नए खोज करने की ओर प्रेरित करेगी, क्योंकि हममें कौतूहल है, कि "हम अपने आसपास की जगहों का पता करें और समझें कि वहां क्या है, और यह, कि क्या हम अकेले हैं?
एमजी/एजेए (एएफपी, रॉयटर्स)