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थाईलैंड के प्रधानमंत्री की दौड़ में पहली महिला उम्मीदवार

१७ मई २०११

यिंग्लुक शिनावात्रा ने पहली बार थाईलैंड के प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में शामिल हो कर इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया है. लोगों की दिलचस्पी उनके महिला होने से ज्यादा इस बात में है कि वो थकसिन शिनावात्रा की बहन हैं.

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तस्वीर: AP

बिना किसी राजनीतिक अनुभव वाली यिंग्लुक को थाईलैंड की विपक्षी पार्टी पूइया थाई पार्टी ने टिकट दिया है. इससे ये भी पता चल जाता है कि स्वनिर्वासित जीवन बिता रहे पूर्व प्रधानमंत्री थकसिन का देश की राजनीति पर कितना असर है.

43 साल की यिंगुल्क एक कारोबारी महिला हैं और विवादों में घिरे अपने भाई से करीब 18 साल छोटी हैं. उनके लिए एक चुनौती ये साबित करना भी है कि वे राजनीति में किसी दूसरे के हाथ से चलने वाली कठपुतली नहीं हैं. इसी साल मार्च में उनका प्रोफाइल छापने वाली पत्रिका मैटीकोन वीकली ने लिखा है, "यिंग्लुक थकसिन की छोटी बहन से ज्यादा उनकी बड़ी बेटी जैसी हैं. थकसिन की पूर्व पत्नी पोजामान के बाद वह परिवार की दूसरी सबसे ज्यादा भरोसेमंद सदस्य हैं. वो सही मायने में थकसिन पर आश्रित हैं और वो कहीं भी रहें यिंग्लुक जब चाहें उनसे संपर्क कर सकती हैं."

Puea Partei Thailand
तस्वीर: picture alliance/dpa

थाईलैंड प्रमुख रूप से थकसिन के दोस्तों और दुश्मनों के बीच बंटा हुआ है. 2001-2006 के बीच थकसिन की लोक लुभावनी नीतियों ने उत्तर के ग्रामीण इलाकों में उनके काफी समर्थक खड़े किये हैं लेकिन निरंकुशता और भ्रष्टाचार के आरोपों ने शहरी उच्चवर्ग को उनसे दूर कर दिया. सैनिक तख्तापलट के बाद सत्ता से बाहर किए गए थकसिन ने गिरफ्तारी से बचने के लिए निर्वासन में जाना स्वीकार किया और माना जाता है कि मुख्य रूप से दुबई को उन्होंने अपना आधार बनाया है.

थाकसिन का असर

हालांकि देश से बाहर रह कर भी वह अपना प्रभाव कायम रख पाने में कामयाब रहे हैं और उन्हें थाईलैंड की प्रमुख विपक्षी पार्टी पूइया थाई का वास्तविक प्रमुख माना जाता है. थकसिन के आलोचक उन पर देश में रेड शर्ट आंदोलन के जरिए अशांति फैलाने का आरोप लगाते हैं. पिछले साल इस आंदोलन ने काफी जोर पकड़ा और सुरक्षा बलों के साथ झड़प में दर्जन भर से ज्यादा लोगों की जान गई. थकसिन के खिलाफ आतंकवाद के आरोपों में गिरफ्तारी का वारंट भी जारी हुआ है.

Ex Premier Thaksin Shinawatra meldet sich per Video bei seinen roten Anhängern
तस्वीर: Holger Grafen

इस तरह के घटनाक्रम के बीच यिंग्लुक का नाम पिछले सोमवार को मीडिया में उभरा और ये सबको पता है कि उनकी उम्मीदवारी एक बार फिर देश में तनाव को बढ़ावा दे सकती है. वहीं यिंग्लुक का कहना है, "मैं देश में एकता और मेलजोल देखना चाहती हूं. पूइया थाई बदले की भावना से नहीं बल्कि सुधार के लिए काम करेगी."

3 जुलाई को होने वाले चुनाव में यिंग्लुक का मुकाबला ऑक्सफोर्ड में पढ़े और उच्चवर्ग के समर्थन वाले प्रधानमंत्री अभिजित वेजाजीवा से है जो 2008 से पद पर हैं. पिछले साल के आंदोलन के दौरान उन्होंने लगातार धैर्य दिखाया. पिछले महीने एजम्पशन यूनिवर्सिटी के ज्यादातर सर्वेक्षणों में यिंग्लुक अभिजित से पीछे हैं.

शादीशुदा यिंग्लुक एक बच्चे की मां हैं और फिलहाल थाईलैंड की रियल स्टेट कंपनी एससी एसेट कॉर्प की अध्यक्ष हैं. यिंग्लुक ने केंटकी बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स डिग्री लेने के पहले राजनीति विज्ञान में बैचलर डिग्री हासिल की है. 90 के दशक की शुरूआत में वे अपने भाई के बिजनेस एंपायर में ट्रेनी के रूप में शामिल हुईं. वे मोबाइल टेलीफोन कंपनी शिन कॉर्प की पूर्व अध्यक्ष हैं. टेलीफोन जगत की इस दिग्गज कंपनी को थकसिन ने शुरू किया. 2006 में टैक्स के मामले को लेकर कंपनी काफी विवादों में रही.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह

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