थाईलैंड में संसदीय चुनावों के लिए मतदान शुरू
३ जुलाई २०११थाईलैंड में रविवार को हो रहे चुनाव में दो बड़ी पार्टियां आमने सामने हैं. डेमोक्रेटिक पार्टी, जो वर्तमान गठबंधन सरकार चला रही है और दूसरी ओर देश की ग्रामीण आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाली विपक्षी पुएआ थाई पार्टी. पिछले साल थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक की सड़कों पर भारी सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए. सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे रेड शर्ट्स प्रदर्शनकारी देश के दूरदराज क्षेत्रों से राजधानी में जमा हुए. इन प्रदर्शनों के कारण बैंकॉक के व्यापार पर भारी असर पड़ा. उस समय प्रधानमंत्री अभिसित वेज्जाजीवा ने स्वीकार किया कि थाई जनता स्पष्ट रूप से दो भागों में विभाजित हो चुकी हैं.
देश में भड़की हिंसा में करीब 91 लोगों की मौत हुई. सैनिक कार्रवाई द्वारा रेड शर्ट्स आंदोलन को तो कुचल दिया गया लेकिन रविवार को हो रहे चुनाव के परिणामों पर आंदोलन की छाप जरूर दिखाई देगी. शनिवार को चुनाव से पहले रैलियां कड़ी सुरक्षा के दायरे में हुईं. चुनाव केंद्रों की सुरक्षा के लिए भी लाखों पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. इन चुनावों को थाईलैंड के कमजोर लोकतंत्र की परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है.
चुनाव के मुद्दे
विपक्षी पार्टी पुएआ थाई के साथ सत्तारूढ़ दल भी ग्रामीण क्षेत्रों में विकास लाने और वहां बुनियादी ढांचे की बेहतरी को अपने चुनाव अभियान का मुख्य मुद्दा बना रही है. सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी का नारा है 'थाईलैंड आगे बढ़ो'. पार्टी ने किसानों को सब्सिडी के माध्यम से कृषि आय में 25 प्रतिशत वृद्धि का वादा किया है. अंतरराष्ट्रीय स्तर के अनुसार मुफ्त चिकित्सा सहायता और हर इलाके में बच्चों की देखभाल के केन्द्रों की स्थापना के वादे चुनाव के मुद्दों में शीर्ष रहे हैं. पार्टी ने अपने चुनाव अभियान में अठारह साल की उम्र तक मुफ्त शिक्षा का वादा भी किया है.
इसके अलावा पार्टी ने अपने चुनाव अभियान में कहा है कि देश के विभिन्न इलाकों में विद्युत ट्रेनों की 12 नई पटरियां बिछेगी. इसके अलावा देश के उत्तर, पूर्व और दक्षिण के बीच एक फास्ट ट्रेन नेटवर्क की व्यवस्था करने कr बात भी है. विपक्षी पार्टी पुएआ थाई के वादे भी कुछ ऐसे ही हैं. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री अभिसित वेज्जाजीवा की सत्ताधारी डेमोक्रैटिक पार्टी ने पिछले दो दशकों से आम चुनाव नहीं जीता है.
फेसबुक पर प्रचार
चुनावों के दौरान हिंसा की आशंका है. सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए देश भर में करीब एक लाख सत्तर हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. इस बार पहली बार ऐसा देखा गया कि राजनैतिक पार्टियों ने सोशल नेट्वर्किंग द्वारा अपना प्रचार किया. फेसबुक और ट्विटर द्वारा मतदातायों को लुभाने की पूरी कोशिश की गई. लेकिन चुनाव वाले दिन किसी भी तरह से प्रचार करने की अनुमती नहीं है. यदि किसी को रविवार को इन साइटों पर पाया गया तो उसे जेल भी जाना पड़ सकता है. पुलिस के प्रवक्ता मेजर जनरल प्रवुत थावोर्नसिरी ने बताया, "यदि कोई उम्मीदवार या आम जनता में से कोई किसी को वोट डालने के लिए उकसाता है, तो उसे छह महीने की कैद हो सकती है या दस हजार बाह्त (पंद्रह हजार रुपये) का जुर्माना."
शिनावात्रा की मुहिम का नेतृत्व फिलहाल उनकी बहन यिंग्लुक शिनावात्रा के हाथों में है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ईशा भाटिया
संपादन: एन रंजन