'दक्षिण एशिया में होड़ न बढ़ाएं गुटेनबर्ग'
१० फ़रवरी २०११जर्मनी की विपक्षी सोशियल डेमोक्रैट्स पार्टी एसपीडी का आरोप है कि भारत गए गुटेनबर्ग सिर्फ अपना प्रचार कर रहे हैं. यह भी आरोप लगाए जा रहे हैं गुटेनबर्ग के इन प्रयासों की वजह दक्षिण एशिया में हथियारों की होड़ बढ़ सकती है. वहां पहले से ही आतंकवाद और हिंसा की गतिविधियां चल रही हैं, ज्यादा हथियारों से हिंसा का बढ़ावा मिल सकता है. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से जर्मनी हथियारों की सौदेबाजी को बढ़ावा नहीं देता है और वह संकटग्रस्त क्षेत्रों में हथियारों की बिक्री नहीं करता है.
लेकिन गुटेनबर्ग फिलहाल विरोधियों से हजारों मील दूर हैं और भारतीय मेजबानी का आनंद ले रहे हैं. बुधवार को उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की. बातचीत के बाद जर्मन रक्षा मंत्री कई मुद्दों पर बोले. उन्होने कहा, ''बहुत गर्मजोशी से स्वागत हुआ. मैं बेहद खुश हूं. विस्तृत वैश्विक मुद्दों पर भी गहराई से चर्चा हुई. हमारे बीच भारत और जर्मनी के रिश्तों पर भी बातचीत हुई, यह संबंध दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण हैं.''
भारत और जर्मनी दोनों संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सीट पाना चाहते हैं. फिलहाल दोनों को अस्थाई सदस्य चुना गया है. दोनों देश आपसी सहयोग और सुधारों की वकालत करते हुए स्थाई सीट पाने का दावा करते हैं. इस मुद्दे पर गुटेनबर्ग ने कहा, ''भारत संयुक्त राष्ट्र के तहत कई काम करता है और हम भी. हम दोनों अगले दो साल के लिए सुरक्षा परिषद के सदस्य भी हैं. इससे हमसे साथ मिलकर काम करने के कई अवसर मिलते रहेंगे.''
वैसे जर्मन रक्षा मंत्री के दौरे का असल मकसद भारत के साथ यूरोफाइटर का सौदा करने का है. भारत इस साल 11 अरब डॉलर खर्च कर लड़ाकू विमान खरीदना चाहता है. बोइंग के लिए दलील दे चुके अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के बाद गुटेनबर्ग अपने यूरोफाइटर की तारीफें कर रहे हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: एमजी