दक्षिण की ओर खिसक रही है जर्मन आबादी
१ मई २०११20 साल पहले जर्मनी के एकीकरण के बाद से अकेले दक्षिणवर्ती प्रांत बवेरिया ने देश के दूसरे इलाकों से पौने सात लाख लोगों को आकर्षित किया है. आबादी विकास संस्थान के ताजा आंकड़ों के हवाले से वेल्ट अम जोंटाग अखबार ने खबर दी है कि इसी अवधि में राष्ट्रपति क्रिश्टियान वुल्फ के प्रांत लोवर सेक्सनी ने पांच लाख लोग खो दिए हैं.
बर्लिन को भी नुकसान
आबादी के इधर उधर जाने से राजधानी बर्लिन को 1 लाख लोगों का नुकसान हुआ है. पूरब के प्रातों मैक्लेनबुर्ग वेस्ट पोमेरेनिया और सेक्सनी अनहाल्ट के अलावा गोदी नगर ब्रेमेन से लोग दूसरे प्रांतों में जा रहे हैं.
लोगों के अपना प्रांत छोड़कर जाने की वजह शिक्षा और नौकरी की संभावना का अभाव है. आबादी विकास संस्थान बिब के शोधकर्ता श्टेफान कुइनटॉफ का कहना है कि अपने प्रांत को अलविदा कहने वाले अधिकांश लोग 18 से 30 साल के युवा हैं जो नौकरी करने या पढ़ाई करने दूसरे प्रांतों में जा रहे हैं.
गंभीर असर होगा
बर्लिन के आबादी और विकास संस्थान के प्रमुख राइनर क्लिंगहोल्त्स का कहना है कि इसका कुछ क्षेत्रों पर गंभीर असर पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि भविष्य में समृद्धि को बनाए रखने के लिए प्रशिक्षित कामगारों की कमी के खतरे और आबादी में गिरावट को दूर करने का एकमात्र रास्ता आप्रवासन है.
विशेषज्ञों का मानना है कि 2030 तक बवेरिया के निवासियों की संख्या बढ़ती रहेगी. दूसरे इलाकों से वहां लोगों का जाना जारी रहेगा. लोगों के इस प्रवाह का लाभ दक्षिण के दूसरे प्रांतों को भी मिलेगा और इस तरह वे देश के दूसरे प्रांतों के विपरीत अपनी आबादी को कायम रख सकेंगे.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: वी कुमार