दशकों से भारतीय जेलों में बंद सैकड़ों पाकिस्तानी
११ नवम्बर २०११भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने हैरत जताई है कि इतने सारे पाकिस्तानी इतने लंबे समय से जेलों में बंद हैं और कोई उनकी सुध नहीं ले रहा है. इस बात पर सुप्रीम कोर्ट का ध्यान एक जनहित याचिका के जरिए गया. सुनवाई के दौरान पता चला कि ऐसे कैदियों की संख्या 254 है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि इन कैदियों के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट फाइल की जाए.
सुप्रीम कोर्ट के जज आर. एन. लोढा ने कहा, "यह बहुत चौंकाने वाला है कि 254 पाकिस्तानी नागरिक बिना सुनवाई के भारतीय जेलों में दिन काट रहे हैं."
जनहित याचिका के मुताबिक ये कैदी जम्मू और कश्मीर में बंद हैं. माना जाता है कि उनमें से ज्यादातर को गलती से सीमा पार कर लेने के बाद गिरफ्तार किया गया. कैदियों में चार महिलाएं हैं. कम से कम दो कैदी ऐसे हैं जो 40 साल से जेल में हैं. ऐसी संभावना जताई गई है कि अन्य राज्यों में भी ऐसे कैदी हो सकते हैं.
सिर्फ एक दिन पहले भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों ने कहा था कि दोनों देश रिश्तों का नया अध्याय शुरू कर रहे हैं. मालदीव में सार्क सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं ने मुलाकात की और रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए नई शुरुआत की बात कही.
दोनों तरफ सैकड़ों कैदी
भारत और पाकिस्तान दोनों ही देशों की जेलों में एक दूसरे के सैकड़ों नागरिक बंद हैं. 1971 की भारत-पाक जंग के बाद भी बहुत से भारतीय सैनिक घर नहीं लौटे और उनकी मृत्यु का भी कोई सबूत नहीं मिला. उनके परिवार वाले आज तक उन्हें तलाश रहे हैं. इस बारे में सरकारी स्तर पर भी बातचीत हो चुकी है लेकिन कुछ पता नहीं चला. पाकिस्तान का कहना है कि उस वक्त का कोई कैदी उसकी जेल में नहीं है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में बंद भारतीय कैदियों की तादाद लगभग 558 है. इनमें से 232 नागरिक कैदी हैं और करीब 252 मछुआरे. 74 भारतीय सैनिक हैं जिनमें से 54 सैनिक 1971 के युद्ध कैदी हैं.
पाकिस्तान ने पिछले साल 454 मछुआरों और 19 नागरिकों को रिहा किया था. 2011 में भी 103 भारतीय मछुआरे और 12 नागरिक रिहा किए गए. भारत भी वक्त वक्त पर पाकिस्तानी नागरिकों को रिहा करता रहा है.
रिपोर्टः एएफपी/वी कुमार
संपादनः आभा एम