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दुनिया जनसंख्या विस्फोट की तरफ बढ़ी

४ मई २०११

इस शताब्दी के अंत तक दुनिया की आबादी 10 अरब के पार जा चुकी होगी. इतनी आबादी बड़े संकट खड़े करेगी. भारत समेत कई देशों को जनसंख्या की इस विस्फोटक स्थिति से भारी मुश्किलें होंगी.

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तस्वीर: AP

जनसंख्या पर संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया और अफ्रीका में जन्म दर के ऊंचे बने रहने से दुनिया की आबादी तेजी से बढ़ती रहेगी. रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक 2050 के आस पास वैश्विक जनसंख्या 9.3 अरब हो चुकी होगी. अगले 50 सालों में यह संख्या 10.1 अरब तक पहुंच जाएगी.

इस दौरान भारत की जनसंख्या मध्यम रफ्तार से बढ़ती रहेगी. भारत बहुत जल्द दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा. 2060 तक भारत की जनसंख्या 1.7 अरब होगी. चीन में जन्म दर काफी धीमी पड़ चुकी है. 2030 तक वहां की आबादी 1.4 अरब होने का अनुमान है.

Gletscherschmelze im Himalaya
तस्वीर: DW/Hörig

फिलहाल 39 अफ्रीकी देशों में जनसंख्या सबसे तेज रफ्तार से बढ़ रही है. अफ्रीकी महाद्वीप की आबादी फिलहाल एक अरब है. 2100 तक यह बढ़कर तीनगुनी यानी 3.6 अरब हो चुकी होगी. अगर अफ्रीका का पिछड़ापन बरकरार रहा तो वहां विस्फोटक स्थिति होगी. एशिया में नौ, ओसियाना (ऑस्ट्रेलिया और उसके आस पास के देशों) के छह और लातिन अमेरिका के चार देशों की आबादी दुनिया की जनसंख्या को बढ़ा रही है.

रिपोर्ट कहती है वैश्विक जनसंख्या बढ़ाने में पाकिस्तान, नाइजीरिया, फिलीपींस, इथोपिया, कांगो, तनजानिया, सूडान, केन्या, यूगांडा, इराक, अफगानिस्तान, घाना, यमन, मोजाम्बिक और मेडागास्कर की बड़ी भूमिका होगी. इन देशों की वजह से वैश्विक जनसंख्या 75 फीसदी बढ़ेगी.

Gletscherschmelze im Himalaya
तस्वीर: DW/Hörig

वहीं विकसित देशों के सामने दूसरा संकट खड़ा है. संयुक्त राष्ट्र के जनसंख्या विभाग के हानिया ज्लोटनिक ने कहा कि आर्थिक रूप से संपन्न होने के बावजूद विकसित देशों के सामने परिवार नियोजन की चुनौती खड़ी है. खासकर पश्चिमी यूरोप के देशों को जनसंख्या बढ़ाने के बारे में सोचना होगा. यूरोप के कई देशों में जनसंख्या न के बराबर बढ़ रही है. मौजूदा आबादी का एक बड़ा हिस्सा बुढ़ापे की ओर बढ़ रहा है. हालांकि अमेरिका में हालात बदल रहे हैं. वहां जनसंख्या बढ़ रही है. हिस्पानिक मूल (स्पेनिश बोलने वाले) के लोगों की वजह से अमेरिका में जन्म दर तेज हो रही है.

संयुक्त राष्ट्र पहले ही चिंता जता चुका है कि तेजी से बढ़ती जनसंख्या की वजह से दुनिया मानवीय संकट की ओर बढ़ रही है. जलवायु परिवर्तन की वजह से जमीन डूब रही है. ग्लेशियर तेजी से गल रहे हैं. औद्योगिकीकरण से तेज रफ्तार प्राकृतिक संसाधनों को खत्म कर रही है. बढ़ती जनसंख्या की वजह से रोटी, कपड़ा और मकान की मांग बढ़ती रहेगी. खनिज तेल और अन्य ऊर्जा स्त्रोतों पर भारी दबाव पड़ेगा. ऐसे में स्थिति विस्फोटक हो सकती है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: ए कुमार

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