नीदरलैंड्स के कुछ गांजा कैफे में आरक्षण
८ अगस्त २०११नीदरलैंड्स में गांजे वाली चिलम लोगों में बहुत लोकप्रिय है. पड़ोसी देशों से अक्सर लोग वहां इसीलिए जाते हैं. मासत्रिख्त के कॉफी शॉप्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मार्क योस्मान बताते हैं, "अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि अगर मुश्किल कम होती नहीं दिखती तो कॉफी शॉप्स बंद कर दी जाएंगी."
मासत्रिख्त शहर के 14 कॉफी शॉप्स में 14 लाख पर्यटक जाते हैं. इन पर्यटकों में आधे से ज्यादा बेल्जियम के लोग हैं और फिर फ्रांस तथा जर्मनी के पर्यटक. इन पर्यटकों पर आरोप लगाया जाता है कि इनके कारण ट्रैफिक जाम होता है, रात में हल्ला गुल्ला होता है.
इजी गोइंग कॉफी शॉप के मालिक योस्मान बताते हैं, "लेकिन जांच में सामने आया है कि पड़ोसी देशों से आने वाले पर्यटक सामान्य तौर पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करते हैं और इसलिए उनसे कोई ट्रैफिक समस्या हो ही नहीं सकती."
अधिकारियों को उम्मीद है कि फ्रांसीसी, स्पेनी, इतालवी और लक्सेम्बर्ग के पर्यटकों पर इन कॉफी शॉप्स में गांजा पीने से रोक लगाने पर मुश्किल बीस फीसदी कम हो जाएगी.
सिटी काउंसिल ने इस बात से इनकार किया है कि उन्होंने कैफे बंद करने की धमकी दी है. हालांकि 2013 से कुछ कॉफी शॉप्स को शहर से हटा कर कहीं और ले जाने की योजना है.
नीदरलैंड्स की सरकार फिलहाल कैनेबिस कार्ड यानी गांजा कार्ड लागू करने के बारे में सोच रही है जो कि नीदरलैंड्स के नागरिकों के लिए होगा. जब भी वे देश के 670 लाइसेंस वाली कॉफी शॉप्स में जाएंगे तो उन्हें ये ले कर जाना अनिवार्य होगा.
कानून मंत्रालय के प्रवक्ता जां फ्रांसमान ने डच काउंसिल ऑफ स्टेट का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह का कार्ड लागू करना नीदरलैंड्स के कानून का उल्लंघन नहीं करता.
दिसंबर में यूरोपीय अदालत ने फैसला सुनाया था कि विदेशियों पर प्रतिबंध लगाना सही है क्योंकि यह ड्रग टूरिज्म और सार्वजनिक रूप से होने उत्पात को खत्म करने के लिए किया जा रहा है.
तकनीकी तौर पर तो गांजे का सेवन अवैध है लेकिन नीदरलैंड्स ने 1976 में 'सहिष्णुता' (टॉलरेंस) नीति के तहत पांच ग्राम से कम गांजा रखने को अपराध की श्रेणी से हटा दिया. नीदरलैंड्स में प्रचलित कॉफी शॉप्स में 500 ग्राम से ज्यादा गांजा रखने की अनुमति नहीं है.
रिपोर्टः एएफपी/आभा एम
संपादनः महेश झा