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पड़ोसी से परेशान पाकिस्तानी

२० अप्रैल २०१३

कबायली इलाकों में पाकिस्तान की सेना के बढ़ते प्रभाव के साथ पाकिस्तान के कई हिस्सों से लोगों ने पलायन करना शुरू कर दिया है. वजह है अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी.

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तस्वीर: dapd

खैबर जिले की तिराह घाटी में तालिबान का अच्छा खासा प्रभाव है और पाकिस्तान की सेना इस हिस्से पर नियंत्रण चाहती है. इलाका अफगानिस्तान की सीमा से सटा है, जहां अब तक अमेरिकी सेना हुआ करती थी. लेकिन वह अफगानिस्तान खाली कर रहे हैं और इसके बाद सुरक्षा बड़ी जिम्मेदारी का काम होगा.

मार्च में पाकिस्तान की सेना ने इस इलाके में जमीनी और हवाई हमला किया. इसमें 24 सैनिकों और 125 आतंकवादी मारे गए. हालांकि सेना इन जानकारियों को बहुत ज्यादा सार्वजनिक नहीं कर रही है क्योंकि पाकिस्तान में आम चुनाव होने वाले हैं. एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "हमें कड़े संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है. सेना समझदारी के साथ कदम उठा रही है."

तालिबान इससे अलग दावा कर रहा है. इसके प्रवक्ता एहसानुल्लाह एहसान का कहना है, "सच तो यह है कि हमने सेना को भारी नुकसान पहुंचाया है." ये वही इलाका है, जिसे चरमपंथियों का गढ़ कहा जाता है और जहां से ये लोग अफगानिस्तान में तैनात अमेरिकी नेतृत्व वाली सेना पर हमले किया करते हैं.

Pakistan Afghanistan Nachschubroute für NATO geöffnet Khyber Pass
तस्वीर: dapd

हाल के पाकिस्तानी सेना के हमले का उद्देश्य चरमपंथियों की पकड़ कमजोर करना था. पेशावर यूनिवर्सिटी के सुरक्षा जानकार सैयद हुसैन शहीद सोहरावर्दी का कहना है कि अमेरिका और पाकिस्तानी सेना के हुक्कामों के बीच हाल के दिनों में गहन चर्चा हुई है, "अमेरिका की मांग है कि सीमा पार से अफगानिस्तान पर हो रहे हमले रुकने चाहिए और नाटो के ट्रकों के काफिले को बिना किसी रुकावट के रास्ता तय करने का उपाय किया जाना चाहिए."

उनका कहना है कि तिराह घाटी में सेना की कार्रवाई दोनों उद्देश्यों को पूरा करती है. लेकिन इसकी वजह से 47,000 लोगों को विस्थापिक होना पड़ा है. तिराह के निवासी लाल अकबर का कहना है, "यहां तो तीन चार साल से लड़ाई चल रही है. पहले यह पहाड़ियों पर थी, अब ये हमारे घरों तक पहुंच गई है और हमें घर छोड़ कर भागना पड़ रहा है."

वे लोग भाग कर खैबर पख्तूनख्वाह की राजधानी पेशावर पहुंच गए हैं, जहां उन्हें अपने बड़े परिवार के लिए घर नहीं मिल पा रहे हैं, "मोर्टार के हमलों से हमारे घर बर्बाद हो गए हैं. मैं ऐसे लोगों से भी मिला हूं, जिनके रिश्तेदार हमलों में मारे गए हैं. उन्हें हमें छोड़ कर वापस पहाड़ियों में जाकर लड़ाई करनी चाहिए."

Pakistan Nachschubroute Afghanistan NATO Truppen
तस्वीर: AP

इस क्षेत्र में हिंसा की वजह से संसदीय चुनाव पर भी असर पड़ सकता है. खैबर इलाके के पास संसद की दो सीट है. पिछले सांसद नूरुल हक कादरी तिराह घाटी के ही हैं और इस बार दोबारा चुनाव लड़ रहे हैं. उनका कहना है कि लगातार संघर्ष की वजह से वह चुनाव प्रचार भी नहीं कर पा रहे हैं, "हम लोग पसोपेश की हालत में हैं कि वोटरों तक कैसे पहुंचें."

उनका कहना है कि सुरक्षा अच्छी नहीं है और हमारी बात तो छोड़िए, वोटर भी इतना सुरक्षित नहीं महसूस कर रहा है कि वह निकल कर मतदान कर सके.

एजेए/एनआर(डीपीए)

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