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'परमाणु संयंत्र को रेत, कांक्रीट में दफनाना एक हल'

१८ मार्च २०११

जापान के इंजीनियरों ने माना कि संकट में पड़े परमाणु संयंत्र को रेत और क्रांक्रीट में दफना देना खतरनाक विकिरणों को रोकने का एकमात्र तरीका हो सकता है. भूकंप और सूनामी के आठ दिन बाद अब बाजार स्थिर करने की कोशिशें तेज हुईं.

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तस्वीर: AP/Kyodo News

जापान के परमाणु इंजीनियरों ने पहली बार माना है कि मुश्किल में पड़े परमाणु रिएक्टर को चेरनोबिल की तरह से रेत और कांक्रीट में दबा देना एकमात्र हल है. ऐसे ही विकिरण को लीक होने से रोका जा सकता है. 1986 में चेरनोबिल में भारी रिसाव को रोकने के लिए यही तरीका अपनाया गया था. वहीं अधिकारियों ने कहा कि वह अब भी कम से कम दो रिएक्टरों में बिजली बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि परमाणु ईंधन की छड़ों को ठंडा करने वाले पंप शुरू हो सके. तीसरे नंबर के संयंत्र पर भी पानी डाला गया है.

अंतिम उपाय

शुक्रवार को ऐसा पहली बार ऐसा हुआ कि परमाणु संयंत्र को चलाने वाले कंपनी ने माना है कि कॉम्प्लेक्स को दफनाना ही एक हल हो सकता है. इससे यह संकेत मिलता है कि सैन्य हैलिकॉप्टरों से पानी उड़ेलने का फायदा नहीं के बराबर है. टोकियो इलेक्ट्रिक पॉवर कंपनी के अधिकारी ने कहा, "रिएक्टर को कांक्रीट में बंद कर देना असंभव नहीं है. लेकिन फिलहाल हमारी प्राथमिकता है स्थिति को काबू में करना और उन्हें ठंडा करना."

Flash-Galerie Japan Atomkraftwerk Fukushima
चेरनोबिल सोल्यूशन संभवतस्वीर: AP

जापान में 8.9 की तीव्रता वाले भूकंप के बाद 10 मीटर ऊंची सूनामी लहरों को आए एक सप्ताह हो चुका है. ताजा जानकारी के मुताबिक 6,539 लोग मारे जा चुके हैं और अधिकारिक रूप से 10,259 लोग लापता दर्ज करवाए गए हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के चीन में प्रतिनिधि माइकल ओ लेरी ने बताया कि संयंत्र के बाहर परमाणु विकिरण का खतरा बहुत ज्यादा नहीं है. वहीं शुक्रवार को हवा में विकिरण की मात्रा भी कम आंकी गई.

अमेरिका के परमाणु नियामक कमीशन के चेयरमन ग्रेगरी जैको का कहना है, "फुकुशिमा में ईंधन छड़ों को ठंडा होने में कई हफ्ते लग सकते हैं. इसे ठंडा होने में समय लगेगा, रिएक्टरों में उष्मा कम करने में शायद कई सप्ताह लगेंगे." वहीं आईएईए के अध्यक्ष युकिया अमानो विशेषज्ञों की अंतरराष्ट्रीय टीम के साथ हालात का जायजा लेने जापान पहुंचे हैं. अमानो ने जापान परमाणु संयंत्र की दुर्घटना को गंभीर करार दिया है. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने पहले शिकायत की थी कि जापान से जानकारी कम मिल रही है. जापान सरकार ने कहा है कि तीन परमाणु संयंत्रों में अब भी सफेद धुआं निकल रहा है. जिन हैलिकॉप्टरों से प्लांट पर पानी डाला जा रहा था उनमें रेडिएशन की मात्रा नापी गई है.

जापान में उपजे परमाणु संकट के बाद दुनिया भर के देशों ने एक बार फिर परमाणु ऊर्जा नीति पर विचार करना शुरू किया है. भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की सुरक्षा का जायजा लेना जरूरी है. वहीं जर्मनी ने तुरंत फैसला किया कि वह जितनी जल्दी संभव होगा वैकल्पिक ऊर्जा के साधनों को विकसित करेगा. जर्मन टीवी जेडडेएफ के सर्वे के मुताबिक करीब 70 फीसदी लोग परमाणु ऊर्जा छोड़ कर वैकल्पिक ऊर्जा के लिए ज्यादा खर्च करने को तैयार हैं. अगर जर्मनी तुरंत परमाणु संयंत्रों को बंद करने के बारे में सोचे तो उसे अरबों यूरो का खर्च आएगा.

Flash-Galerie Japan Erdbeben Atomkrise Evakuierung Fukushima 16.02.2011
कड़कड़ाती ठंड में अस्थाई शिविरों में लाखों लोगतस्वीर: AP

पटरी पर लौटती जिंदगी

जापान में सूनामी के सप्ताह भर बाद जीवन धीरे धीरे रौ में आने की कोशिश में है. शुक्रवार को कुछ बंदरगाह फिर से चालू हुए, वहीं सूनामी की लहरों में डूबा सेंडाई का एयरपोर्ट फिर से आपात उड़ानों के लिए खोल दिया गया है. मोरिकाता और अकिता के बीच बुलेट ट्रेन सेवा भी शुक्रवार से शुरू की गई है. अभी भी जापान में ईंधन की कमी है. इस कारण राहत कार्यों में मुश्किल पैदा हो रही है. बर्फबारी ने हालात और दुश्वार बनाए हुए हैं. रात का तापमान शून्य डिग्री से नीचे है. करीब 3 लाख 80 हजार लोग 2000 अस्थाई शिविरों में रह रहे हैं. कई अस्पतालों में भी बिजली की कमी है.

जी7 देशों के समूह ने जापान में न्यूक्लियर मेल्टडाउन की आशंका से येन के घटे भाव को उठाने और बाजार को स्थिर करने के लिए एक साथ मिल कर काम करना तय किया है. इसी के साथ डॉलर का भाव बढ़ा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः ओ सिंह

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