पाइरेसी से कम बजट की फिल्मों को फायदा
१७ दिसम्बर २०१२कम पैसों से बनी फिल्मों का गैरकानूनी तरीकों से थोड़ा बहुत प्रचार हो जाता है क्योंकि जो लोग आम तौर पर ऐसी फिल्में नहीं देखते, वह इंटरनेट में इन्हें देख सकते हैं. हाल ही में पुलिस ने न्यूजीलैंड में पाइरेटड वीडियो वेबसाइट मेगाअपलोड के मालिक किम श्मिट्स को गिरफ्तार किया था. जर्मन और फिनिश मूल के श्मिट्स की वेबसाइट दुनिया की सबसे बड़ी फाइल शेयर करने वाली वेबसाइट है. अमेरिकी न्याय मंत्रालय ने फिर वेबसाइट को बंद करा दिया. इसके जरिए लोग गैर कानूनी तरीके से फिल्में डाउनलोड कर सकते थे. गिरफ्तार होने के बाद श्मिट्स को फिल्म उद्योग को कई करोड़ डॉलर हर्जाना देना पड़ा.
अब पता चल रहा है कि बड़ी फिल्मों का नुकसान पाइरेसी पर नहीं थोपा जा सकता. जर्मनी में म्यूनिख विश्वविद्यालय के क्रिस्टियान पॉयकर्ट और योर्ग क्लाउसेन ने 49 देशों से पिछले पांच सालों में 1,344 फिल्मों की कमाई का विश्लेषण किया. रिसर्च में कुछ हैरान करने वाले नतीजे सामने आए. मेगाअपलोड के बंद होने से फिल्मों की कमाई बढ़ी नहीं, बल्कि कम हुई. यह कमी छोटे बजट फिल्मों वाली की हुई, बड़ी फिल्मों को कोई नुकसान नहीं हुआ.
सुझाव से प्रचार
छोटी बजट वाली फिल्मों को पाइरेसी से फायदा होता है क्योंकि फिल्म देखने के हमारा फैसले आसपास के हमारे दोस्तों की राय से भी प्रभावित होता है. मेगाअपलोड के बंद होने से कई ऐसी फिल्में प्रचार नहीं कर पातीं. पॉयकर्ट ने जर्मन अखबार सूडडॉयचे साइटुंग से कहा कि छोटी फिल्मों के पास प्रचार के पैसे नहीं होते. फाइल शेयरिंग वेबसाइट इस्तेमाल करने वाले लोग इन सेवाओं के लिए पैसे भी देते हैं और फिल्म की थोड़ी कमाई भी हो जाती है.
वैसे जर्मनी में फिल्म उद्योग इससे सहमत नहीं. जर्मनी में कॉपीराइट सुरक्षा दफ्तर की प्रवक्ता क्रिस्टीन एलर्स कहती हैं कि इस वक्त जर्मनी में आंकड़े इस रिसर्च के नतीजों के खिलाफ हैं. कहती हैं कि रिसर्च में मुनाफा नहीं बल्कि दर्शकों की संख्या को देखना होगा. वहीं जर्मन फिल्म निर्देशक निकी श्टाइन कहते हैं कि डाउनलोड बढ़ने से छोटी फिल्में पैसा कमाती हैं. कहते हैं कि इस वक्त जर्मनी में छोटे और आर्ट फिल्मों के लिए बाजार वैसे ही कम हो गया है.
श्टाइन नहीं मानते कि मेगाअपलोड छोटी फिल्मों की मदद कर सकते हैं. लेकिन म्यूनिख के रिसर्च से पता चला है कि गैर कानूनी तरीकों से इन फिल्मों को फायदा मिल रहा है. श्टाइन फिर भी मानते हैं कि इंटरनेट उद्योग में बड़ी कंपनियां इस तरह के शोध को बढ़ावा दे रही हैं.
रिपोर्टः मारी टोडेसकीनो/एमजी
संपादनः एन रंजन